बीजाक्षर मंत्रों के विषय में

About beej mantra in hindi

बीज अक्षर बड़े शक्तिशाली होते है । प्रत्येक देवता का अलग बीज अक्षर होता है । क्रीं भगवान श्री कृष्ण का बीज अक्षर है । बंगाल के लोग इसका उच्चारण क्लोंड. और मद्रास के लोग क्लीम करते है । रां श्री राम चंद्र जी का बीज अक्षर है । ऐं सरस्वती जी का बीज अक्षर है । क्रीं काली जी का , गं गणेश जी का स्वं कार्तिकेय का, हौम भगवान शंकर का, श्रीं माता लक्ष्मी जी का, डुं माता दुर्गा का, ह्रीं माया का, इसी को तांत्रिक प्रणव भी…

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प्रतिदिन की ईश्वर साधना के लिए आवश्यक नियम

प्रतिदिन की ईश्वर साधना के लिए आवश्यक नियम

मंत्र जप के लिए आवश्यक नियम (1.) कोई भी मंत्र अथवा ईश्वर का नाम चुन लो और उसका नित्य प्रति १०८ से १ ०८० बार तक जप करो, अर्थात् एक माला से लेकर दस माला तक । अच्छा हैं कि यह मंत्र अपने गुरूमुख से लो । (2.) १०८ दानों की रुद्राक्ष अथवा तुलसी माला का प्रयोग करों । मनको को फेरने के लिए सीधे हाथ की मध्यमा तथा अंगूठे का प्रयोग करो तर्जनी का प्रयोग निषिद्ध हैं । (3.) माला को नाभि से नीचे नहीं लटकने देना चाहिए ।…

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जप द्वारा सिद्ध हुए महात्मा गण

जप द्वारा सिद्ध हुए महात्मा गण

तुलसीदास, रामदास, कबीर, मीराबाई, बिल्लवमंगल (सूरदास), गौरांग प्रभु, गुजरात में नरसिंह महेता अदि अनेक महात्मो को जप और अनन्य भक्ति द्वारा ही, भगवतदर्शन हुए थे ! जैसे इनको सफलता मिली वैसे ही हे मित्रो आपको मिल सकती है । जो गाना जानते हो वे लय के साथ मन्त्र का गान करे । मन इससे शीघ्र ही उन्नत पहुँच जायगा । जैसे रामप्रसाद बंगाली ने एकान्त में बैठकर भगवान के नाम का गान किया था वैसे ही बैठ कर आप भी गावें । गाते गाते भाव समाधि आ जाएगी । जम्टिस…

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साधना प्रकरण में जप की संख्या का महत्व

साधना प्रकरण में जप की संख्या का महत्व

प्रत्येक व्यक्ति अनजाने में ही सोअहं मन्त्र २४ घंटो २२६०० बार जपता है । तुम्हे ऐसी प्रत्येक श्वास के साथ अपना इष्ट मंत्र कहना चाहिए । बस फिर क्या, तुम्हारी मन्त्र-शक्ति खूब बढ़ जाएगी और तुम्हारा मनशुद्ध हो जाएगा । तुम्हे जप संख्या २०० से लेकर 500 माला तक प्रतिदिन बढानी चाहिए । जैसे तुम दो बार भोजन करने के लिए उत्सुक रहते हो वैसे ही दिन में चार बार जप करने क लिए भी उत्सुक रहना चाहिए । मृत्यु किसी भी समय आ सकती है ओऱ उसका आगमन असूचित…

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लिखित जप के लाभ । Benefits of likhita japa in hindi

Benefits of likhita japa in hindi

जानें, लिखित जप किसे कहते है और उसके नियम व लाभ क्या है लिखित जप:-प्रतिदिन अपना गुरु मन्त्र अथवा इष्टमंत्र अपनी नोट बुक लिखने को हम लिखित जप कहते है । मनुस्मृति में जप करने के जो भिन्न-भिन्न उपाय बताए गए हैं, उनमें लिखित जप का प्रभाव सबसे अधिक होता है । लिखित जप चित्त क़ो एकाग्र करने में सहायता करता है और धीरे-धीरे साधक क़ो ध्यान की ओर अग्रसर कराता हैं । लिखित जप में प्रतिदिन अपना गुरु मन्त्र अथवा इष्टमंत्र अपनी नोट बुक में लिखो । इस अभ्यास…

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जप में कुम्भक और मूलबंध की आवश्यकता

जप में कुम्भक और मूलबंध की आवश्यकता

जब तुम जप करने के जिए बैठते हो तो सिद्धासन लगाओ और मूलबन्ध का अभ्यास करों । इससे चित्त कों एकाग्र करने में सफलता मिलती है । यह अभ्यास अपान वायु को नीचे को ओर आने से रोकता है । पद५मासन पर बैठने का अम्यास होने से तुम साधारण रूप से मूल-बंध कर सकते हो । जितनी देर हो सके, सुगमतापूर्वक मूलबन्ध का अभ्यास करो । श्वास के रोकने की क्रिया को कुम्भक कहा जाता है । कुम्भक के अभ्यास से चित्त दृढतर बनता जता है और एकाग्रता का स्वत:…

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तीन प्रकार के जप और उनके लाभ

मानसिक जप । वैखरी जप । उपांशु जप । मंत्र जप के प्रकार

मंत्र जप के प्रकार:– १. वैखरी जप :- मौखिक जप को वैखरी कहा जाता है । इसमें मन्त्र का उच्चारण स्पष्ट रूप से किया जाता है। २. उपांशु जप :- फुसफुसाहट के साथ जप करने को उपांशु जप कहते हैं । ३. मानसिक जप :- मानसिक जप सबसे आधिक शक्तिशाली हैं । इस प्रकार के जप में जीभ और होंठ दोनों ही नहीं हिलते, बल्कि मन ही मन मन्त्र का जाप करते है। मंत्र जाप में भिन्नता की आवश्यकता मंत्र जाप करते समय कुछ देर तक उच्चारण करते हुए (वैखरी…

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ईश्वर को याद रखने के लिए माला की जरूरत

ईश्वर को याद रखने के लिए माला की जरूरत

ईश्वर और उसकी सर्वव्यापी महिमा को याद रखने के लिए माला की जरूरत तुम्हें सदैव अपने गले में या जेब में माला रखनी चाहिए तथा रात को सिरहाने के नीचे उसको रख लेना चाहिए । जब तुम माया अथवा अविद्या के कारण ईश्वर का विस्मरण कर दोगे तो माला उसका तुम्हें पुन: स्मरण कराएगी । रात की जब तुम लघुशंका के लिए उठते हो, तव माला तुन्हें याद दिलगी कि तुम उसको एक दो बार फेर लो । मन कौ वश में करने के लिए माला एक उत्तम उपकरण है…

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मन्त्र जप के लिए तीन प्रकार की बैठकें

मन्त्र जप के लिए तीन प्रकार की बैठकें

उषाकाल तथा गोधूलि की बेला में एक रहस्यमय आध्यात्मिक वातावरण कर्मशील रहता है ओर एक अदभुत आकर्षण होता है । अतः इन दोनों संधिकालों में मन सीघ्र ही पवित्रता को प्राप्त होने लग जायगा । और सत्व से परिपूरित हो जायगा । सूरज निकलने और डूबने के समय चित्त को एकाग्र करना बहुत ही सुगम होता है । अतः जप का अभ्यास संधिकाल में करना चाहिए । इस समय चित्त एकदम शान्त और तजा होता है । अत: ध्यान लगने में सरलता होती है ध्यान जीवन का अनिवार्य उत्तरदायित्व है…

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मंत्र का जप करते समय मन को एकाग्र कैसे करते है

मंत्र का जप करते समय मन को एकाग्र कैसे करते है

तुम हृदय-कमल ( अनाहत चक्र ) पर अपने चित्त को स्थिर कर एकाग्र करो, या दोनो भ्रकुटीओ के मध्य का स्थान आज्ञा चक्र कहलाता है उस पर करो । हठयोंगियो के अनुसार आज्ञा चक्र मस्तिष्क का स्थान है । यदि कोई मनुष्य आज्ञा चक्र पर चित्त को लगा कर उसे एकाग्र कर लेता है तो उसका मस्तिष्क सुगमता से उसके वश में हो जाएगा । अपने स्थान पर बैठ जाओ । आँखे बन्द कर लो और जप तथा ध्यान करना आरम्भ कर दो । जब कोई दोनों भृकुटिओ के बीच…

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