पहेलियाँ सिर्फ हमारा मनोरंजन ही नहीं करती, बल्कि वो हमारे दिमाग को भी तेज करती है। क्यों कि पहेलियाँ हमें गहराई तक सोचने पर मजबूर करती है। पहेलियाँ बच्चों से जरूर पूछनी चाहिए जिससे उनकी तार्किक क्षमता में विकास होता है। इसलिए हम आप के लिए ढेर सारी उत्तर के साथ मजेदार हिंदी पहेलियां Paheliyan with answer in Hindi लाएं हैं। उम्मीद करते है कि ये सब हिंदी पहेलियाँ – Hindi Paheliyan आप को अच्छी लगेंगी, पहेलियाँ का आनंद लीजिये। मजेदार पहेलियाँ उत्तर सहित वृंदावन में दो जने, एक ही…
Read MoreMonth: February 2023
मोटिवेशनल कहानी । एक वाक्य ने बदल दी मेरी जिंदगी
मोटिवेशनल कहानी: बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा की तैयारी चल रही थी। कॉलेज में आधा से अधिक सिलेबस समाप्त हो चुका था । मगर मेरी पढ़ाई अभी भी अधूरी थी। पढ़ाई मुझे कठिन लग रही थी। चाहकर भी किसी विषय को पूरा नहीं कर पाया था। हमारे बॉटनी वाले त्रिपाठी सर बहुत अच्छा पढ़ाते थे और बीच-बीच में हंसाते भी रहते थे, ताकि बच्चे बोर न हों। एक दिन त्रिपाठी सर क्लास में आए और पढ़ाते पढ़ाते अचानक पूछ बैठे, आप लोगों में से कितने लोग नियमित अखबार पढ़ते हैं।…
Read Moreनैतिक कहानी: किसी का उपहास करना ठीक बात नहीं
मेरा एक दोस्त बरेली में रहता है। वह काफी कुशाग्र है। जब भी मैं किसी परेशानी में आता हूं, तो वह मेरी मदद करता है। पर वह अपने ऊपर इठलाने वाले लोगों से काफी चिढ़ता है। कैरम के खेल में उसे महारत हासिल है। लेकिन इस बात का वह घमंड नहीं करता। एक बार वह मेरे शहर में आया था। हम दोनों दोस्त साथ-साथ खूब घूमते रहेते। एक दिन मेरी कॉलोनी में कुछ लड़के कैरम खेल रहे थे। हम दोनों टहलते हुए उनके पास खड़े होकर उनका खेल देखने लगे।…
Read Moreनैतिक कहानी: तमाचा
दफ्तर से लौट कर आने पर राहुल का चेहरा खिला-खिला न पाकर उसके पंडित मित्र दीनानाथ ने पूछा, ‘आज तू उदास क्यों है, मेरे यार?’ राहुल बोला, ‘आज मेरे दफ्तर के सामने वाली सड़क पर मेरी टक्कर एक ट्रैक्टर से हो गई। मैं तो किसी तरह बच गया, मगर….मगर।’ मगर क्या? दीनानाथ ने चौंक कर पूछा, मानो कि राहुल का बड़ा नुकसान हो गया हो। राहुल बोला, ‘मैं तो बच गया, लेकिन वह टैक्टर वाला मुझे बचाने के चक्कर में अपना संतुलन नहीं बना पाया और उसका ट्रैक्टर एक पेड़…
Read Moreआध्यात्मिक कहानी । मैं हर जगह मौजूद हूं
एक दिन भगवान श्री कृष्ण,अपनी बहन द्रोपदी के साथ शाम की सैर कर रहे थे। द्रोपदी जी भगवान श्रीकृष्ण से बोली, ‘भैया, मैंने तो सुना है कि आप हर जगह मौजूद रहते हैं। पर उस समय आप कहां थे, जब दु:शासन मेरा चीर हरण कर रहा था?’ श्री कृष्ण पहले मुस्कराए और फिर बोले,’बहन, जब दु:शासन तुम्हारा चीर हरण कर रहा था, तब तुम अपनी साड़ी को दोनों हाथों से पकड़कर बचने का प्रयास कर रही थी। थोड़ी देर की जद्दोजहद के बाद जब तुम्हारा जोर नहीं चला, तो तुमने…
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