गायत्री मंत्र के लाभ । Benefits of Gayatri mantra in hindi

गायत्री पुरश्चरण के द्वारा माँ गायत्री के दर्शन

गायत्री मंत्र के विषय में:-

भारत भूमि ऋषियों और तपस्वियों की भूमि रही है । इस धरती पर समय-समय पर महान ऋषि और मुनियों ने तप किये और भारत को अद्वितीय गरिमा प्रदान की है । विश्व में यही ऐसा देश है जो कि मंत्र तथा जप के लिए जाना जाता है । अनेक मंत्र है यहां और मंत्र जप हमारी सनातन धार्मिक परंपरा भी रही है ।

अभी तक हम मंत्र तथा जपों को ईश्वरीय साधना का केवल एक मात्र साधन ही मानते रहे हैं किंतु ये मंत्र अपने आप में साधना का निमित्त न होकर अपने आप में विज्ञान भी है जो कि मस्तिष्क के अलावा हमारी शारीरिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करते है । गायत्री, गीता, गंगा तथा गौ ये भारतीय संस्कृति की चार आधारशिलाऐ हैं और इनमें सर्व प्रथम स्थान गायत्री का है ।

इसलिए गायत्री मंत्र को मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ महामंत्र अर्थात गुरु मंत्र कहा गया है । हिंदू धर्म तथा भारतीय संस्कृति के सभी शास्त्र सभी संप्रदाय तथा सभी ऋषि एक स्वर में गायत्री की महिमा को स्वीकार करते हैं :

गायत्री मंत्र के लाभ:-

गायत्री मंत्र चार वेदों का सार है । इसे जानने से, वेद जानने का फल प्राप्त होता है ।
–ब्रह्मदेव

गायत्री के समान चारों वेदों में और कोई मंत्र नहीं है ।
–ब्रह्म ऋषि विश्वामित्र

सिद्ध की हुई गायत्री कामधेनु के समान है । गंगा शरीर के पापों को दूर करती हैं । गायत्री से आत्मा निर्मल होती हैं ।
–ऋषि वेदव्यास

गायत्री साक्षात शक्ति का अवतार है ।
–देवर्षि नारद

वर्तमान शताब्दी के महापुरुष भी गायत्री का वैसा ही महत्व स्वीकार करते हैं जैसा कि प्राचीन काल के ऋषियों ने स्वीकार किया था ।

गायत्री मंत्र का जप यदि शुद्ध चित्त होकर निरंतर किया जाए तो । जप करने वाला रोग ग्रसित ही नहीं होता । उसके समस्त कष्ट भी दूर हो जाते हैं ।
–महात्मा गाँधी

गायत्री मंत्र के जप से मैंने वह सारी उपलब्धियां प्राप्त कर ली जिनकी मुझे आशा भी नहीं थी ।
–रवींद्रनाथ टैगोर

गायत्री युग शक्ति है अनगढ़ को सुगढ़ बनाने का साधन है ।
–परम पूज्य आचार्य श्रीराम शर्मा

गायत्री बुद्धि को काम से हटा कर राम में लगा देती है ।
–स्वामी रामतीर्थ

स्वयं श्री रामचंद्र जी ने लक्ष्मण से भीष्म ने कौरव पांडव से इसकी महिमा का गान किया है । गीता में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है । गायत्री छंदसामः है अर्थात छंदों में छंद मैं गायत्री हूं अर्थात गायत्री वह मंत्र है जिसकी महिमा सब ने गाई है ।

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