एक मन्त्र को स्वयं दिव्य शक्ति समन्वित समझना चाहिए । वास्तव में मन्त्र तथा उसका देवता अभिन्न है । नाम और नामी एक ही हैं । मंत्र ही देवता है । मंत्र दिव्य शक्ति का प्रतीक है । श्रद्धा, विश्वास तथा भक्ति के साथ मन्त्र का निरन्तर जप करने से साधक की शक्ति का विकास होता है और मंत्र में मन्त्र-चैतन्य का जागरण होता है और साधक को मन्त्र-सिद्धि प्राप्त हो जाती है, तथा साधक एक प्रकार के प्रकाश, स्वतन्त्रता, शांति तथा अनंत आनंद और अमरत्वा का अनुभव करने लगता है ।
मन्त्र के निरन्तर जप करते रहने से साधक में भी वह शक्तियाँ और गुण विकसित होने लगते हैं, जो उस मन्त्र के देवता में होते हैं । सूर्य मंत्र का जप आरोग्य, चिरायु, शक्ति, तेज तथा बुद्धि प्रदान करता है । वह शरीर के सब रोगों को दूर कर देता है, मुख्यत: नेत्रों के रोगों के लिए तो वह रामबाण है । सूर्य के जप करने वाले को उसका कोई शत्रु हानि नहीं पहुँचा सकता । प्रात:-काल सूर्य के मंत्र का जप बहुत ही अधिक लाभदायक होता है । श्री रामचन्द्र जो ने इसी मंत्र के द्वारा रावण को पराजित किया था । अगस्त्य मुनि ने यह मन्त्र मर्यादा पुरषोत्तम श्री रामचन्द्र जी को सिखाया था ।
वास्तव में मन्त्र देवता की प्रार्थना अथवा उसके गुणगान करने का एक रूप हैं, एक उपाय है, जिसके द्वारा हम ईश्वर से कृपा तथा रक्षा की प्रार्थना करते हैं उस मन्त्र से आत्माओ को बस में किया जा सकता है लयसहित ध्वनि की लहरें रूपो का निर्माण करती हैं । अतः बिशेष मंत्र का जप उसके विशिस्ट देवता का रूप निर्माण करता है ।
ॐ श्री सरस्वत्यै नमः– मंत्र का जप जो सरस्वती जी का मंत्र है, जप करने वाले में बुद्धि तथा विवेक-शक्ति का विकास करता है, और उसको विद्वान् बनाता हैं । इस जप से तुम्हें उत्साह मिलेगा और कविताए’ लिखने लगोगे । तुम एक महान् विद्वान् हो जाओगे ।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः– मंत्र का जप तुम्हारी निर्धनता को दूर करके तुम्हे धनवान बना देगा ।
ॐ गं गणपतये नमः– मंत्र का जप तुम्हारे किसी भी कार्य की बाधाओं का निराकरण कर देगा और तुम उस कार्य को करने में सफल बनोगे । गणेश मंत्र भी तुम्हे बुद्धि, सिद्धि सभी कुछ प्रदान करेगा ।
महामृत्युंजय मंत्र का जप दुर्घटनाओं को रोकेगा, असाध्य रोगो का परिहार करेगा । तुम्हे कष्टों से सुरक्षित रखेगा और तुम्हे चिरायु और अमरत्व प्रदान करेगा महामृत्युंजय मंत्र का जप मोक्षदाता भी है । जो लोग इस मंत्र का प्रतिदिन जप करते है वे निरोग होते है और चिरायु का आनंद भोगते है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति करते है ।
“हम त्रिनेत्र शिव को प्रणाम करते है, जो प्राणिओ को पालता है और मृदु सुगन्धि से परिपूर्ण है । वही शिव हमें आवागमन से छुटकारा प्रदान करेगा, जैसे पका हुआ खीरा स्वतः ही लता से अलग हो जाता है; और अमरत्व में स्थित होजाऊ ।“ महामृत्युंजय मंत्र के जप का यही अर्थ है ।
ॐ श्री शरवणभवाय नमः– श्री सुब्रहमणय का जप-मंत्र है । तुम्हें प्रत्येक कार्य में सफलता प्रदान करेगा और तुम्हें ऐश्वर्यवान् बनायेगा । वह बुरे प्रभावों से और बुरी आत्माओ को तुमसे दूर रखेगा ।
ॐ श्री हनुमंते नमः– श्री हनुमान जी का मंत्र है जो तुम्हे शक्ति और विजय प्रदान करेगा ।
पंचाक्षर और षोडशाक्षर मंत्र तुम्हें धन, शक्रि, स्वतंत्रता इत्ययादि का वरदान देगा । तुम जो कुछ चाहते हों वह सभी कुछ तुम्हें देगा । तुम्हे यह विद्या अकेले में गुरुमुरव से सीखनी चाहिए ।
गायत्री मंत्र या प्रणव मन्त्र अथवा ॐ नम: शिवाय अथवा ॐ नमो नारायणाय अथवा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप अगर भाव, श्रद्धा, प्रेम, तथा विश्वास सहित सवा लाख किया जाया तो मंत्र सिद्धि प्राप्त होगी ।
ॐ, सोअहम्, शिवोअहम् , तथा अहं ब्राह्मास्मि मोक्ष मंत्र हैं । यह मंत्र आत्मसाक्षातकार करने में सहायता करेंगे । ॐ श्री रामाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय सगुण मंत्र हे, जो तुम्हे सगुण का साक्षातकार करादेंगे और अंत में निर्गुण का ।
मंत्रो द्वारा लम्बे समय के रोग का उपचार किया जा सकता है । मंत्रो का संगीत रूप में उच्चारण करने से महाप्रभावसाली हो जाता है, जिनके द्वारा अनेको रोगो का उपचार किया जाता है । यह उपचार प्रणाली आजकल पश्चिम में उचित स्थान पा चुकी है । इसे मैंलोथिरपी कहा जाता हैं । हमारे शरीर-कोष में पवित्र सत्व अथवा दिव्य’ शक्ति ओतप्रोत कर देते हैं । वे जीवाणु अथवा सूक्ष्म जीवो का नाश कर शरीर-कोष और स्नायुमण्डल को स्वच्छ बना देते है ।
यह मंत्र श्रेष्ट तथा चित्त में पवित्रता लाने के लिए उत्तम माध्यम है । शक्तिवर्धक बिटामिन से यह अधिक शक्तिपूर्ण है। वे अल्ट्रावायोलेट किरणों से भी अधिक प्रभावशाली है ।
मंत्र-सिद्धि:–
विदृछू और सांप के कटे को ठीक करने के लिए, मंत्र-सिद्धि प्राप्त करने के लिए ग्रहण के दिन से मंत्र जप आरम्भ करना चाहिए । इससे जल्दी ही मंत्र-सिद्धि प्राप्त होती हे । तुम्हे पानी के अंदर खड़े होकर मंत्र का जप करना चाहिए । यह अधिक प्रभावोत्पादक होता हे । मंत्र-सिद्धि प्राप्त करने के लिए साधारण दिनों में भी इस मंत्र का जप किया जा सकता हैं ।
सांप, बिच्छू अदि के कटे को ठीक करने के लिए चालीस दिनों में मंत्र सिद्धि प्राप्त हो सकती हैं । नियम से प्रति दिन मंत्र को भक्ति और साधना के साथ जपो । प्रातः काल स्नान करके जप करने के लिए बैठ जाओ । चालीस दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करों या तो केवल दूध और फल पर रहो । अत्यंत बिधानानुकूल और सात्विक आहार ग्रहण करो ।
मंत्र सिद्धि के दुरुपयोग से बचे:–
मंत्र सिद्धि का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, अर्थात् इसके द्वारा दूसरों की हानि नहीं पहुँचानी चाहिए । जो लोग मन्त्र की शक्ति को दूसरों के नाश में प्रयुक्त करते हैं, वे स्वयं ही अंत में नाश को प्राप्त हों जाते हैं ।
मंत्रो के द्वारा तुम संसार के सच्चे हितकारी बन सकते हो:-
जो लोग सांप, बिच्छु आदि के काटे की और रोगग्रस्त की ठीक करने में मन्त्र का प्रयोग करते हैं, उन्हें किसी प्रकार की फीस नहीं लेनी चाहिए, उन लोगों को बिल्कुल निष्काम भाव् से यह कार्य करना ‘चाहिए । यह तो परोपकार है । उनको किसी भी प्रकार की भेंट इस नाम के बदले में नहीं लेनी चाहिए । यदि वे मंत्र सिद्धि का अपने स्वार्थ के लिये प्रयोग कर रहे है तो उनकी शक्ति समाप्त हो जायेगी, क्षीण हो जायगी और फिर उनके पास मंत्र-शक्ति नहीं रहेगी । दूसरी ओर यदि वे बिलकुल निष्कामभाव से मानव-जाति की सेवा करेंगे तो भगवान् की कृपा से उनकी शक्ति का विकास होता जायगा । जिस मनुष्य ने मन्त्र सिद्धि प्राप्त कर ली हैं, वह केवल स्पर्श से ही दीर्घ-कालीन रोग, काले नाग के काटे और बिच्छु के काटे हुए व्यक्ति को ठीक कर सकता है । जब किसी मनुष्य की काले सर्प ने काट लिया हो तो मंत्र-सिद्ध कौ तुरन्त समाचार मिल जाता है जैसे मनुष्य को तार द्धारा सामाचार मिलता है । मन्त्र-सिद्धि मन्त्र का उच्चारण करती है ओर जिस मनुष्य की काले सांप ने काटा है, वह तुरन्त स्वस्थ हों जाता हैं । क्या ही अद्भुत बात है ? क्या इससे मन्त्र में निहित अनंत शक्ति की सिद्धि नहीं सिद्ध होती?
मन्त्र की दीक्षा अपने गुरु से लो । अगर गुर प्राप्त करना कठिन हो तो अपने अराध्य की प्रार्थना करो और उसके बिशेष मन्त्र का जप करना आरम्भ कर दो ।
मन्त्र-सिद्धि की प्राप्ति से तुम सब मंत्र योगी बन सकते हो । मंत्रो के द्वारा तुम संसार के सच्चे हितकारी बन सकते हो । मंत्रो के द्वारा संसार के प्रत्येक भाग में प्रभावशाली स्पन्दनों की भेजा जा सकता है ।