भगवान सदाशिव वैदिक और तांत्रिक दोनों विद्याओं के आचार्य हैं । इसलिए दोनों प्रकार के ग्रंथों में शिव साधना के सर्व दुख निवारक उपायों का वर्णन मिलता है
त्रिदेवों में भगवान शिव शीघ्र कृपा बरसाने वाले देव हैं । इसलिए भगवान शिव की साधना सुर और असुर दोनों ही करते हैं । इनकी उपासना जहां सात्विक और राजस भाव में होती है, वही तामस का भाव भी शिव सिद्धि का परम साधन बनता है । यही कारण है कि विभिन्न ग्रंथों में शिव साधना के अद्भुत प्रयोगों का वर्णन मिलता है । ये उपाय जीवन के कष्टों को दूर कर सुख-समृद्धि में वृद्धि करते हैं:
शिव साधना के अद्भुत चमत्कारी प्रयोगों
– प्रतिदिन भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष पांच बत्ती वाला दीपक जलाएं । आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी ।
– शिव पूजन के पश्चात गौरी-शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव को चढ़ाएं । इससे समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
– सावन मास में 108 विल्व पत्रों पर चंदन से “ॐ नमः शिवाय” मंत्र लिखें । फिर इसी मंत्र का उच्चारण करते हुए एक एक विल्व पत्र शिवजी पर चढ़ाएं । ऐसा 31 दिनों तक करने से धन में वृद्धि होती है ।
– 5 सोमवार तक आक के 21 पुष्प से शिव जी की पूजा करें । पित्र दोष हो, तो उसका निवारण हो जाएगा ।
– जिस सोमवार को पूर्णिमा तिथि हो, उस दिन दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें और 11 नागकेसर उनको अर्पित करें । रात में चंद्रमा को दूध का अर्घ दें और खीर का प्रसाद चढ़ाएं फिर इस खीर को बहू को खिलाएं । इस प्रयोग से बेटे और बहू का जीवन खुशहाल रहता है ।
– शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को ११ अभिमंत्रित गोमती चक्र को हल्दी का तिलक करें और इसे पीले कपड़े में बांध ले । फिर उस पोटली को हाथ में लेकर सारे घर में घूमते हुए घर के बाहर आ जाएं । इसके बाद पोटली को बहते जल में प्रवाहित कर दें । धन-लाभ का मार्ग प्रशस्त होगा ।
– पीपल के वृक्ष के नीचे शिव जी की प्रतिमा बनाएं । प्रातकाल उस पर जल अर्पित करें । तत्पश्चात “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की 5 माला का जप करें । इससे लक्ष्मी का आगमन होने लगता है ।
– सोमवार के दिन चंदन की अगरबत्ती जलाकर शिवजी की पूजा करें । फिर उस अगरबत्ती की भभूत चर्म रोग से पीड़ित व्यक्ति को लगा दे । इससे लाभ मिलेगा