देव पूजा को पूर्ण बनाने के लिए अपनाये पूजा पाठ के कुछ आवश्यक नियम

पूजा पाठ के कुछ आवश्यक नियम

क्या आपको पता है कि इस देव को पूजा में क्या प्रिय है? यदि अपनी साधना का शत प्रतिशत परिणाम पाना है, तो कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है

हर देव का प्रभाव अलग-अलग होता है । इसलिए उनकी पूजा के कुछेक विशिष्ट विधान होते हैं । उनका पालन पूजा को पूर्ण बनाता है और भक्तों को इच्छित फल भी मिलते हैं । दरअसल देवताओं की पूजा का विधान सर्वथा अलग एवं व्यापक है । इसलिए हमारा कर्तव्य है कि इन विधानों का पालन नियमित रूप से करें । आइए जानते हैं देव पूजा का विधान:

पूजा करने की सही विधि

 
* यदि श्री गणेश जी की पूजा करनी हो, तो उत्तराभिमुख गणेश की पूजा करना ज्यादा श्रेयस्कर माना गया है ।

* यदि श्री दुर्गा जी की उपासना करनी हो, तो पंचायतन की पूजा करें । कहने का तात्पर्य है कि श्री शिव, दुर्गा, गणेश, स्कंद ऋद्धि-सिद्धि आदि की पूजा करना अच्छा माना जाता है ।

* यदि जातक सूर्य की पूजा करने के दौरान सफेद आक से पूजा कर रहे हों, तो यह लाभप्रद होगा साथ ही सूर्य आदित्य स्त्रोत का पाठ भी करें ।

* अगर लक्ष्मी जी का पूजन करें तो श्री नारायण के साथ । वरना पूजा का अपेक्षित फल नहीं मिल पाता है । पूजन के दौरान कमल का फूल रखें ।

* हनुमान जी की पूजा करने वाले साधक यदि रामचंद्र की पूजन भी करें, तो यह उनके लिए फलदाई होती है । साथ ही वह सिंदूर व चमेली का तेल भी अवश्य लगाएं ।

* अगर तुलसी की पूजा कर रहे हों, तो श्याम तुलसी का पूजन करना श्रेष्ठ कहा गया है । भगवान श्री कृष्ण को श्याम तुलसी अधिक पसंद है ।

* साधक यदि पीपल की पूजा कर रहे हों, तो यह देख लें कि पीपल का वृक्ष किसी देवालय के प्रांगण में या नजदीक हो । ऐसी मान्यता है कि इससे साधक को पूजा का 100 फ़ीसदी फल मिलता है ।

* कई लोग माला फेर कर अपने इष्ट देव की प्रार्थना करते हैं । ऐसे में यदि श्री कृष्ण की आराधना तुलसी माला से, श्री सरस्वती की स्फटिक से, शिव की रुद्राक्ष से करते है, तो यह भी उनके लिए लाभ प्रद होता है ।

* किसी भी ग्रहणी को पंच संस्कार अवश्य करना चाहिए । प्रतिदिन अग्नि में पंच आहुति दें, जिससे घर में कलह ना हो तथा ग्रह शांत रहे और धन-धान्य आता रहे ।

* यदि नियमित शंकर भगवान की पूजा कर रहे हो, तो भांग, धतूरे, आक को अवश्य शामिल करें । पूजा सार्थक होगी ।

* घर में यदि विवाह संस्कार हो रहे हो, तो पितरों की पूजा अवश्य करें । पर पितरों की विदाई के दौरान घंटी न बजा कर, थाली में सिक्के की टंकार करने का विधान बताया गया है ।

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