वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह निर्माण आरंभ करने से पहले करें शुभ अशुभ बातों पर विचार

वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह निर्माण

घर बनाए तो करें शुभ अशुभ विचार

 
वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह निर्माण आरंभ करने से पहले कई शुभ-अशुभ बातों पर विचार कर लेना जरूरी होता है, ताकि घर में शांति बनी रहे

हर इंसान चाहता है कि उसके अच्छे कार्यों में कोई व्यवधान न आए और हर कार्य शांतिपूर्वक संपन्न हो जाए । फिर चाहे वह भवन निर्माण का काम ही क्यों ना हो ? लेकिन कई बार ऐसा देखने में आता है कि भवन निर्माण से लेकर उसमें प्रवेश करने और उसके बाद निवास करने तक परिवार में दुर्घटनाओं का सिलसिला बढ़ता जाता है । फिर चाहे वह छोटी हो या बड़ी ।

वास्तु शास्त्र में भी इस तरह की विपदाओं को डालने के लिए कई उपाय करने की सलाह देते रहते हैं ।

दरअसल नींवों की खुदाई-ढलाई, ईटों से दीवारें बनाने, उन पर पलस्तर करने तथा रंग-रोगन करने तथा भवन के निर्माण कार्य के दौरान ना चाहते हुए भी कई क्षुद्र जीवों का विनाश हो जाता है, जिसे रोका भी नहीं जा सकता है । फिर जब गृह निर्माण के बाद गृहस्वामी उस में प्रवेश करता है, तो घर में प्रतिदिन कुछ ना कुछ दुर्घटना हो जाती है । घर के अंदर पांच ऐसे स्थानों का वर्णन भी किया गया है जहां ना चाहते हुए भी कुछ ना कुछ घटना होती रहती है । मनुस्मृति में उल्लिखित एक श्लोक में इसका वर्णन भी है:

पंचसूना गृहस्थाय चुल्ली पेषव्युपस्करः ।
कण्डनी चोदकुम्भश्च बध्यते यास्तु वाद्ध्यन ॥

यानी घर के अंदर पांच जगहों चूल्हा, लोढ़ा, झाड़ू, ढेकी और मथनी पर न चाहते हुए भी दुर्घटना होती है । जिससे पूरे घर की शांति भंग हो जाती है और परिवार के सदस्यों के बीच तनाव बना रहता है । मनुस्मृति में इसका उपाय भी इस श्लोक के माध्यम से बताया गया है :

तासां क्रमेण सर्वासां निष्कृत्यर्थ महर्षिभिः ।
पंच कृल्प्ता महायज्ञा: प्रत्यहं गृहमेधिनाम ॥
अध्यापनं ब्रह्मयज्ञ: पितृयक्षस्तु तर्पणम ।
होमो दैवी बलिभौंतो नृयज्ञो तिथि पूजनम ॥

ब्रह्म यज्ञ अर्थात स्वाध्याय, वेद पठन-पाठन और पितृयज्ञ नित्य प्रतिदिन का श्रद्धा तर्पण है । विभिन्न जीवो को अन्नदान, अतिथि को आदर-सम्मान प्रत्येक गृहस्थ का कर्तव्य माना जाता है । यदि ग्रह स्वामी या उसके परिवार का कोई सदस्य इस तरह के कार्य प्रतिदिन करता है, तो उसका भयंकर दुर्घटना से मुक्त हो जाता है और उसके घर में शांति व सुकून रहती है ।

गृह निर्माण कार्य आरंभ करने के समय होने वाले शुभ-अशुभ शकुनो एवं ध्वनियों के बारे में भी विचार करना आवश्यक होता है । अगर ग्रह की नींव लगाते समय अर्थात वास्तु पूजा अथवा भूमि पूजा के समय मेघ गर्जन, हाथियों की आवाज, हंसो का स्वर, शंखनाद, मंदिरो की घंटा ध्वनि, वाद्य यंत्रो की आवाज, देवताओ की स्तुति के स्वर, वेद पाठ आदि के शब्द, गायों का रम्भाना, सांड का स्वर जैसी मंगल ध्वनि सुनाई दे, तो उससे उत्तम फल की प्राप्ति होती है एवं गृह स्वामी के जीवन में खुशियां आती है ।

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