दृष्टांत कथा: आचरण का प्रभाव होता ही है

दृष्टांत कथा: आचरण का प्रभाव होता ही है

एक बार एक बार एक महिला संत ज्ञानेश्वर महाराज के पास अपने छोटे पुत्र को लेकर आई और उसने कहा, महाराज, इसे अपच की बीमारी है। मेने इसे कई दवाइयां दीं, किंतु उनका कुछ भी असर नहीं हुआ।

ज्ञानेश्वर महाराज ने उससे कहा बहन, इसे कल ले आना। दूसरे दिन जब वह महिला अपने लड़के को उनके पास ले गई, तो उन्होंने लड़के से पूछा, ‘तू ज्यादा गुड़ खाता है ना ? बच्चे ने तुरंत सर हिलाते हुए कहा, हां। उसके द्वारा हां कहने पर उन्होंने कहा, ‘तू गुड़ खाना बंद कर दे, तो तू जल्दी ही अच्छा हो जाएगा।’

बच्चे ने तुरंत स्वीकृत में सर हिला दिया। किंतु उसकी मां सोचने लगी है यह बात तो महाराज हमें कल ही बता सकते थे। फिर उन्होंने मुझे नाहक ही बुलाया। अंत में उससे रहा न गया और उसने पूछ ही लिया, ‘महाराज यह बात तो आप कल ही बता सकते थे ? फिर आज,,,

संत बोले, बहन ! कल जब तुम आई थी, तो मेरे सामने ही गुड़ रखा हुआ था। ऐसे में यदि मैंने बच्चे को गुड़ खाने से मना किया होता, तो यह सोचता कि यह खुद तो गुड खाता है और मुझे खाने के लिए मना करता है। इसी कारण मैंने स्वयं गुड़ खाना बंद कर दिया है और अब इस स्थिति में हूँ कि इसे भी गुड़ खाने को मना कर सकता हूं। यह सुन महिला ने संत के पैर छुए और संतुष्ट हो कर चली गई।

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