बुध ग्रह को बुद्धि, कला, स्नेह, विद्या व वाणी का प्रतीक माना गया है। इसके इष्ट देव स्वयं गणेश हैं, इसलिए गणेश की पूजा से बुध भी प्रसन्न रहता है
बुध प्रधान जातक बुद्धिमान, उत्साहपूर्ण, कोमल, गणितज्ञ तथा उच्च चिकित्सक बनता है। बाल्यावस्था में अनेक व्यवधानों के बावजूद वह यौवनावस्था में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। परंतु कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति प्रतिकूल हुई तो जातक शंकालु, आलसी, गलत व्यवसाय से धनोपार्जन करने वाला और स्वार्थी प्रवृत्ति का होता है।
बुध ग्रह के शुभ व अशुभ प्रभाव
कुंडली के जिस भाव में बुध बैठा हुआ हो और वहां से वह तृतीय व दशम भाव को एकपाद दृष्टि से तथा सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो, तो ऐसे जातकों को शिक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में पूर्ण सफलता मिलती है। उसके यश, मान, प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है तथा निरंतर प्रगति करते हुए जीवन में अनेकों सफलताएं प्राप्त करता है।
बुध यदि भाग्येश के साथ होकर अच्छी स्थिति में हो, तो सुख, सौभाग्य एवं धन की वृद्धि होती है। व्यक्ति को व्यावसाय में प्रतिष्ठा मिलती है। मिथुन लग्न में बुध चतुर्थ भाव का स्वामी माना जाता है, जो मातृ-सुख, मानसिक शांति का कारक होता है। दशम भाव का स्वामी कर्म, व्यवसाय, प्रतिष्ठा व पिता सुख आदि का कारक होता है परंतु जातक का लग्न मेष, कर्क, वृश्चिक व मीन हो, तो विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कुंडली में यदि मीन राशि का बुध अस्त शत्रु राशि से युक्त हो, तो यह अवस्था राजदंड का कारक होता है। जिससे बुध की महादशा व अंर्तदशा में जातक को विपरीत फलों की प्राप्ति होती है। सातवें भाव का स्वामी बुध यदि निर्बल या अशुभ ग्रहों से युक्त हुआ हो, तो दांपत्य जीवन में अशांति रहती है। कुछ ऐसे ही कुंडली के अन्य भाव हैं, जो बुध को कमजोर बनाते हैं। इस बाधा को दूर करने हेतु शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। जो बुध ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करते हैं-
अशुभ बुध को ठीक करने व बुध को प्रसन्न करने के उपाय
● कहते है गणेश प्रसन्न, तो बुध प्रसन्न। यानी जिन लोगों पर गणेश की कृपा हो, तो बुध का शुभ लाभ जातक को स्वयं प्राप्त हो जाता है। इसके लिए ‘ऊं श्री गणेशाय नमः’ मंत्र को 108 बार जपें। साथ ही साथ गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें।
● बुध दोष के कारण यदि धन हानि हो रही हो, श्वेतार्क गणपति की पूजा करें।
● घर में यदि नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो रहा हो, तो बुधवार को पूजा-घर में गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। मुख्य द्वार पर भी गणेश जी की प्रतिमा लगा लें। बाहर आते-जाते समय दर्शन कर बाहर निकलें।
● बुध पीड़ित जातक गणेश चतुर्थी का व्रत करे या कार्य प्रारंभ करने से पहले नित्य प्रातः श्री गणेश का दर्शन करें। इस तरह गणेश को प्रसन्न कर आप बुध के दोष को कम कर सकते हैं।
श्रोत:- सौभाग्य दीप से