किसी से पूछे कि आपको तनाव है, तो वह कहेगा, नहीं। पर सच तो यह है कि छोटे बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े तक तनाव से ग्रस्त हैं। इसी तनाव के कारण शरीर का सारा सिस्टम गड़बड़ हो रहा है। मसलन ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक आदि। अब इन सबको दूर करने के लिए आप डॉक्टर का चक्कर तो लगाते ही होंगे। लेकिन इन सबसे बेहतर एक और उपाय है- मंत्र साधना
अपने शरीर के सिस्टम को समझना भी आपकी जिम्मेदारी है। शरीर में जो कुछ दिक्कतें होती हैं, उन्हें हम स्वयं कैसे ठीक कर सकते हैं, इसका ज्ञान होना जरूरी है। अगर आप स्वस्थ जीवन जीने के अभिलाषी हैं, तो सर्वप्रथम स्वयं को तनावमुक्त रखने की कोशिश करें। स्वयं को तनावमुक्त रखने के लिए मंत्र साधना एक बहुत शक्तिशाली साधना है। मंत्र साधना करने के लिए सबसे पहले सीधे बैठना चाहिए. इस दौरान रीढ़ की हड्डी को बिलकुल सीधी रखें।
लगभग पांच से सात मिनट तक आप गहरी सांस लें और छोड़ें। सांस छोड़ते समय ‘ॐ’ का उच्चारण करें। मगर हां, हाई ब्लड प्रेशर वाले को सांस अंदर रोकनी नहीं चाहिए। जिनको ब्लड-प्रेशर हो, उनको कुम्भक बिलकुल नहीं करना चाहिए। उनको कपालभाति भी नहीं करना चाहिए। लेकिन स्वस्थ शरीर वालों को कुम्भक और कपालभाति करने से बड़े लाभ हो सकते हैं। जिस समय आप ‘ॐ’ का गुंजन कर रहे हों, उस समय आपका फोकस मस्तिष्क, कपाल और सिर में होना चाहिए। इससे आपके सुप्त न्यूरांस जग जाते हैं। मस्तिष्क के महीन तंतुओं तक आपकी इन ध्वनि तरंगों का असर पहुंचता है। मंत्र का उच्चारण करने पर जो ध्वनि की तरंग उत्पन्न होती है, इसके कारण आपके शरीर में ऐसा सुंदर परिवर्तन आता है। कि हाइपो थैलमस भी ठीक से काम करने लगता है। मंत्र की शक्ति आपको स्वस्थ करती है। इसलिए सुबह के समय पर ब्रह्ममुहूर्त में जगकर स्नान करके मंत्र का उच्चारण करें। ध्यान रहे ऐसा कर आप अपने जीवन में सौंदर्य और निरोगता को लाते हैं। इससे रक्त का प्रवाह सही हो जाता है और हृदय स्वस्थ होता है। जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है।