नवग्रह शांति के लिए क्या करना चाहिए?, सभी ग्रहों को शांत करने के लिए क्या करें?, सभी नवग्रहों को कैसे प्रसन्न करें?
नवग्रहों को करें नमन जीवन में रहें मगन
सभी प्रकार की पूजाओं में नवग्रह पूजन का भी विशेष महत्व होता है। पूजा-पाठ व दान क्रियाओं से नवग्रह को शांत किया जाता है। अगर कुंडली में कोई भी ग्रह प्रतिकूल हो, तो व्यक्ति को कष्टों से गुजरना पड़ता है। यहां नवग्रहों की शांति हेतु कुछ उपाय दिए जा रहे हैं, जिनका लाभ आप भी उठा सकते हैं।
नवग्रह शांति के उपाय
सूर्य यदि अशुभ हो, तो हृदय रोग, उदर विकार, ऋण आदि की समस्या रहती है। सूर्य के दोष निवारण के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें, साथ में भगवान विष्णु की उपासना करें। गेंहू, गुड़, एवं तांबे का दान करें।
चंद्रमा की अशुभता से मानसिक तनाव, दुर्बलता, फेफड़ो के रोग, धन की कमी, होती है। चंद्रमा के दोष निवारण के लिए कुल देवी या कुल देवता की पूजा करें। नमः शिवाय मंत्र से शिव की उपासना करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
मंगल के अशुभ प्रभाव से जिगर के रोग होते हैं एवं होंठ फटते हैं। इसके लिए हनुमान की पूजा व उपासना करें। मसूर की दाल एवं लाल मूंग की दाल दान करें।
बुध अगर प्रतिकूल हो तो स्नायु से संबंधित रोग होते है। बुध के दोष निवारण के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। मां दुर्गा की उपासना करें। साबूत मूंग दान में दें।
बृहस्पति यदि खराब स्थिति में हो, तो संतान सुख में कमी आती है और गले संबंधी बीमारी होती है। बृहस्पति के लिए हरि पूजन करें। ब्रह्माजी की उपासना करें। चने की दाल या सोना का दान करें।
शुक्र के लिए लक्ष्मी की पूजा उपासना करें। विधवाओं की मदद करें। घी, दही, कपूर, मोती का दान करें।
शनि की अशुभ दृष्टि हो, तो अग्नि भय, आंखों के रोग होने की आशंका रहती है। शनि को शुभ बनाने के लिए भैरव की उपासना करें। लोहा या उड़द का दान करें। इससे शनि शुभ फल देता है।
राहु यदि अनुकूल न हो, तो सिर पर चोट लगती है, राजकोप का शिकार होना पड़ता है। मानसिक रोग एवं क्षय रोग होते हैं। राहु के निवारण के लिए सरस्वती की पूजा उपासना करें, कन्यादान करें अथवा बेटी की शादी के लिए गरीब माता-पिता की मदद करें। सरसों अथवा नीलम का दान करें।
केतु यदि अशुभ हो, तो घुटनों में दर्द रहेगा, मूत्र की समस्य रहेगी । पुत्र पर संकट एवं दुर्व्यवहार करेगा। केतु के लिए गणेश की पूजा उपासना करें। गाय का दान करें। तिल का दान करें। इससे केतु शुभ होता है।