संकल्प बल से करें रोगों का निवारण
प्राणिक हीलिंग अर्थात् प्राण शक्ति द्वारा उपचार मनुष्य के लिए वरदान है। यह विज्ञान पूर्णतः ऊर्जा पर आधारित है। प्राणिक हीलिंग द्वारा हम अपनी ऊर्जा को बढ़ाकर स्वयं को और दूसरों को स्वस्थ बना सकते हैं। यह सर्वविदित है कि शारीरिक बल और मानसिक शक्ति से भी सूक्ष्म एक उर्जा है, जो शरीर में मौजूद रहती है। कोई भी रोग पहले बाद ऊर्जा-शरीर में आता उसके बाद भौतिक शरीर में । इसका निवारण हम सूर्य, धरती एवं जल की ऊर्जा से कर सकते है। अगर ऊर्जा शरीर में मौजूद खामियों को ही नष्ट करने की कोशिश की जाए, तो आरोग्य का वरदान अवश्य मिलेगा।
प्राणिक हीलिंग अथवा प्राण शक्ति से उपचार से गुजरते हुए प्रत्यक्ष रूप से एक ही प्रक्रिया संपन्न होती दिखाई देती है। रोगी बैठा अथवा लेटा होता है। प्राण- चिकित्सक उससे कुछ दूरी पर बैठता है और वह हथेलियों से कुछ मुद्राएं बनाकर हाथ को खास ढंग से लहराता है। यह प्रक्रिया ऐसी दिखाई देती है, जैसे कुछ समेटा या पोछा जा रहा हो और पास में रखा नमक के पानी में बहाया जा रहा हो ।
प्राणिक हीलिंग अथवा प्राण उपचार कोई नई चिकित्सा विधि नहीं है। हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व इस विधि की खोज की थी। पर जन मानस तक इसे पहुंचने का काम किया फिलीपिंस के ग्रांड मास्टर चो कोक सुई ने। उपचार की यह बिधि रेकी से भिन्न है। प्राणिक हीलिंग में रोगी का स्पर्श नहीं किया जाता है। बल्कि सामने अथवा कुछ दूर बैठकर संकल्प बल से निर्देश दिए जाते हैं। अगर रोगी दूर हो, तो चिकित्सक ध्यान द्वारा भी संकेत भेज सकता है। विशेषकर प्राणिक हीलिंग का आधार द्वि-ह्रदयी है, जिसे ट्रीवन हार्ट मेडिटेशन भी कहते हैं, जिसमें हृदय चक्र व सहसार चक्र को जाग्रत किया जाता है। इससे सोचने की शक्ति सकारात्मक हो जाती है और एकाग्रता में वृद्धि होती है।