जॉब्स हैं, पर कैंडिडेट्स
लाइफस्टाइल के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने से लाइफस्टाइल प्रोडक्ट का मार्केट भी तेजी से बढ़ा रहा है। पर इस मार्केट में प्रोफेशनल्स की कमी क्यों महसूस की जा रही है?
हाल के वर्षों में युवाओं में लाइफस्टाइल के प्रति जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है और इसके प्रति वे बेहद सतर्क भी हो गए हैं।
जाने, आज का जॉब मार्केट किस तरह का है ?
आज कंपनियों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ी है। और इस प्रतिस्पर्धा की वजह से ही मार्केट में आज केवल उन लोगों के लिए ही जगह है, जिनका परफॉर्मेंस अच्छा होता है। सच तो यह है कि आज का मार्केट पूरी तरह कॉम्पिटेटिव और परफॉमेंस पर आधारित हो गया है। इसलिए आज के जॉब मार्केट में वही लोग टिक पाते हैं, जो हर लिहाज से जॉब के लिए फिट हों। बावजूद इसके ऐसे लोगों की कहीं-न कहीं कमी बनी हुई है, जिनकी योग्यता आज के जॉब्स के अनुकूल हो । वैसे, आप यह भी कह सकते हैं कि सही मैनपॉवर के अभाव में खाली पदों को भरने के लिए कंपनियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस लिहाज से देखें, तो आज जॉब्स जरूर हैं, लेकिन सही कैंडिडेट्स की कमी महसूस की जा रही है।
कैंडिडेट्स में किन चीजों की कमी होती है ?
सही मायने में देखें, तो कमी कैंडिडेट्स में नहीं, बल्कि कहीं-न-कहीं खोट हमारी शिक्षा प्रणाली में है। दूसरी अहम बात यह भी है कि आज काफी ऐसे युवा मिल जाएंगे, जिन्हें यह भी मालूम नहीं होता है कि उन्हें किस फील्ड में करियर बनाना है और कहां वे बेहतर कर सकते हैं। इसलिए बेहद जरूरी है कि पहले आप यह सोच लें कि किस क्षेत्र में आपकी रुचि है! फिर अपनी क्षमता और रुचि के आधार पर ही उस फील्ड में करियर बनाने की पहल करें, सफलता जरूर मिलेगी।
जाने, जॉब्स में कैंडिडेट्स को कैसे मिलेगी सक्सेस ?
मेरा मानना यही है कि यदि कुछ बातों को आत्मसात कर आगे बढ़े, तो जिंदगी में सफलता मिलने के चांसेज जरूर बढ़ जाते हैं।
उस फील्ड पर ही अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें आप अपना करियर डेवलप करना चाहते हैं। साथ ही कुछ वर्षों तक एक ही फील्ड में काम करते रहना चाहिए। इसके बाद ही जॉब या फील्ड को चेंज करने के बारे में सोचना चाहिए।
यदि आप तुरत-फुरत जॉब बदलते रहते हैं, तो बढ़िया जॉब मिलने की संभावनाएं दिन-ब-दिन कम होने लगती हैं। इसलिए किसी ऑर्गनाइजेशन में कम-से-कम दो साल तक बने रहना ही चाहिए। इसके बाद ही दूसरी कंपनी में जॉब के लिए कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि इससे जॉब स्टेबिलिटी और बढ़ जाती है। सच तो यह है कि आज कॉर्पोरेट वर्ल्ड में उन लोगों की ही अधिक डिमांड हैं. जो जॉब स्टेबिलिटी में विश्वास रखते हैं।
ऐसी कंपनी में कभी-भी ज्वॉइन न करें, जहां एम्प्लॉई को प्रॉपर सैलरी स्टेटमेंट नहीं दिया जाता है, क्योंकि इस तरह की कंपनी में कार्य करने से आपका ‘फ्यूचर एम्प्लॉयमेंट’ प्रभावित हो सकता है।
जिस फील्ड में आप कार्य कर रहे हैं, उस फील्ड में स्पेशलिस्ट बनने के लिए अपनी प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन को हमेशा बढ़ाते रहने का प्रयत्न करना चाहिए।
कैंडिडेट्स को सफल होने के लिए किन बातों पर अमल करना चाहिए ?
सफलता पाने की चाहत हर किसी के अंदर होती है, लेकिन इसके लिए समुचित प्रयास हर कोई नहीं करता, क्योंकि, इसके लिए निरंतर कोशिश करनी पड़ती है। यदि आप कोशिश करेंगे, दो सफलता जरूर मिलेगी। लेकिन कैसे ?
सफलता में खुशी का रहस्य छिपा होता है, मगर इस खुशी को प्राप्त करने के लिए समुचित प्रयास जरूरी है। हर सफलता के पीछे अपनी एक निराली कहानी होती है। आइए जानते हैं सक्सेस की सहज व्याख्या किस तरह से की जा सकती है.
S – सेल्फ कॉन्फिडेंस (आत्मविश्वास)
अपने काम पर भरोसा करें क्योंकि आत्मविश्वास ही आपको काम में निपुण बनाएगा। अपना सही मूल्यांकन करें। इससे अपनी कमियां स्वयं ही दूर कर सकते हैं।
U – अंडरस्टैंन्डिंग (समझ)
आप अपने संस्थान की जरूरतों को समझें । आप उन जरूरतों का एक ऐसा विकल्प बन जाएं, ताकि आपके बिना संस्थान का काम आसानी से न हो सके। अगर कोई आपके काम में गलतियां निकाले, तो नाराज न हों। गलतियों को सुधारने की कोशिश करें और रोज अपने काम में निखार लाएं। इससे लोग आपको प्रयत्नशील और परिश्रमी मानेंगे। ऑफिस में इससे आपके पक्ष में एक सकारात्मक माहौल बनेगा। वहां के लोग आपके प्रति अच्छा विचार रखने लगेंगे। इससे काम में और गति आएगी।
C – कन्ट्रोल (नियंत्रण)
संस्थान की पूरी शासन-व्यवस्था पर आपकी घुसपैठ का मतलब कंट्रोल से नहीं है। बस, आपका अपने काम पर कंट्रोल हो। ऑफिस में आस-पास क्या हो रहा है, इसकी जानकारी भी होनी चाहिए। हमेशा ग्रुप में पार्टिसिपेट करें। यह ध्यान रखें कि एकता में ही बल है।
C- कम्युनिकेशन (सम्प्रेषण)
ऑफिस में अपनी बात रखें और दूसरों की बातों को भी समझें । सदैव श्रोता ही न बने रहें। मीटिंग में कोई प्रश्न हो, तो पूछें। अपनी राय भी प्रस्तुत करें। सभी लोगों से संवाद भी बनाए रखें।
E – एनर्जी (ऊर्जा)
जब तक काम पूरा न हो, तब तक ऊर्जा व उत्साह बनाए रखें, क्योंकि सफलता के लिए ऊर्जा जरूरी है। अगर आप में ऊर्जा है, तो उत्साह का संचार जरूर होगा और अगर उत्साह है, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले जाएंगे।
S – सॉफिस्टिकेशन (सौम्यता)
काम में सफल होने के लिए आचार-विचार शिष्टता आवश्यक है। अपने विचार और विषय के ज्ञान में गहराई लाएं, ताकि हर बार भीड़ से अलग विचार प्रस्तुत कर सकें। अधिक-से-अधिक ज्ञान अर्जित करने की कोशिश करें। किसी भी तरह से विषय को अपने तर्कों से नाप-तौल कर जरूर देखें।
S – सिंसियरिटी (लगन)
सफलता की एक अहम कुंजी है लगन। किसी भी काम को अगर आप मन लगा कर करते हैं, तो काम बेहतर होगा ही। जरूरी नहीं कि पहली बार में ही काम अच्छा हो। अगर आप लगातार लगे रहेंगे, तो एक न एक दिन आप अपने क्षेत्र में सफल जरूर होंगे। आप उपर्युक्त गुणों को अपना कर देखें, सफलता आपको अवश्य मिलेगी।