नैतिक कहानी : चाय की केतली

एक लड़का था । उसके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे । वह अपनी नानी के पास रहता था । उसकी नानी ने उसका पालन-पोषण किया था । वह थोड़ा बड़ा हुआ तो मेहनत करके घर में कुछ पैसे लाने लगा । वह बहुत मेहनती था । अपनी मेहनत की कमाई से वह घर में कई चीजें ले आया । अब उनके घर में हर चीज थी । नानी और वह आराम से रहने लगे ।

उनके इलाके में एक चोर सब कुछ देखता रहता था । उसकी नजर इनकी संपत्ति पर थी । एक बार रात को वह उनके घर में घुस आया । घर में खटपट की आवाज हुई, तो लड़के की नींद खुल गई । वह समझ गया कि चोर अंदर आ गया है । उसने कहा, “अरे भाई, तू सब कुछ ले जा, लेकिन चाय की केतली मत ले जाना । मेरी नानी बीमार है । वह सुबह में चाय के साथ दबा लेती है । बाजार तो देर में खुलेगा ।”

चोर नानी के कमरे में गया, तो सचमुच वह बीमार पड़ी थी । नानी सारी बातें सुन रही थी । वह चोर से बोली, “नहीं भाई, तुम सब कुछ ले जाओ । मेरे इस नाती ने अपनी मेहनत से कुछ ही दिनों में यह सारा सामान जमा किया है । आगे फिर कर लेगा ।”

चोर ने उन दोनों की बात सुनी तो वह असमंजस में पड़ गया । उसका दिल भर आया और वह सारा सामान छोड़कर खाली हाथ चला गया । इतना ही नहीं, उस दिन से उसने चोरी करना भी छोड़ दिया ।

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