संस्कृत में अव्यय : परिभाषा, अर्थ एवं उदाहरण- Avyay In Sanskrit

संस्कृत में अव्यय : परिभाषा, अर्थ एवं उदाहरण- Avyay In Sanskrit

संस्कृत अव्यय की परिभाषा एवं अर्थ

जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक आदि से कभी भी कोई परिवर्तन नहीं होता है, वे अव्यय शब्द कहे जाते हैं।

सदृशं त्रिषु लिंगेषु सर्वासु च विभक्तिषु। वचनेषु च सर्वेषु यत्रास्ति तदव्ययम् ।।

जो तीनों लिंगों (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग), सभी विभक्तियों (प्रथमा से सप्तमी) सब वचनों (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) के अनुसार घटे-बढ़े नहीं, वह अव्यय है।

अतएव अनुवाद करते समय इनके रूप नहीं चलाने पड़ते। वे वाक्य में ज्यों के त्यों रख दिये जाते हैं। कुछ उपयोगी अव्यय नीचे लिखे जा रहे हैं-

संस्कृत अव्यय के उदाहरण एवं उनके हिन्दी अर्थ

संस्कृत शब्द हिन्दी अर्थ
अकस्मात् अचानक
अग्रे पहले
अचिरम् शीघ्र
अजस्रम् निरन्तर
अन्तः अन्दर
अतः इसलिए
अतीव बहुत
अत्र यहाँ
अपरेद्युः दूसरे दिन
अधुनैव अभी
अधुना अब
अनिशम् निरन्तर
अद्य आज
अन्यत्र दूसरी जगह
असकृत अनेक बार
इतः यहाँ से
इत्तस्ततः इधर-उधर
इत्थम् इस प्रकार
इदानीम् इस समय
इह यहाँ
ईषत् थोड़ा कुछ
ऋतम् सत्य
एकत्र एक जगह
एकदा एक बार
एकपदे एक साथ
एव ही
एवम् इस तरह
कथम् कैसे
कदाचित किसी प्रकार
कदा कब
कदाचिद् कभी, शायद
कदापि कभी
किन्तु लेकिन
किम् क्या, क्यों
कुतः कहाँ से
कुत्र कहाँ
कुत्रचित् कहीं
क्वचित् कहीं
चिरम् देर तक
झटिति शीघ्र
तत् इसलिए
ततः फिर, तब
तत्र वहाँ
तदा तब
तथा उस तरह
तर्हि तो, तब
यावत् जब तक
तूष्णीम् चुपचाप, मौन
दिवा दिन में
दिष्ट्या सौभाग्य से
दूरम् दूर
ध्रुवम् निश्चय ही
नक्तम् रात्रि
परश्वः परसों
परेद्युः दूसरे दिन (कल)
पुनः फिर
पुरा पहले
प्रतिदिनम् प्रतिदिन, नित्य
प्रातः सबेरे
प्रायः अक्सर
भूयः फिर-फिर, अधिक
भृशम् बार-बार, अधिकाधिक
मिथ्या झूठ
प्राक् पहले
यत् क्योंकि
यत्र यहाँ
यथा जैसे
यदा जब
तावत् तब तक
युगपत्त् एक साथ
वृथा व्यर्थ
शनैः-शनैः धीरे-धीरे
मन्दम् धीरे-धीरे
श्वः कल (आने वाला दिन)
सदा हमेशा
सर्वथा सब प्रकार से
सहसा अचानक
सकृत्त् एक बार
सततम् निरन्तर
सद्यः तुरन्त
सपदि शीघ्र, तुरन्त
सम्प्रति इसी समय, अभी
सम्यक् भली-भांति
सर्वत्र सब जगह
सायम् शाम को
ह्यः कल (बीता हुआ)
अद्यत्व आजकल
परह्यः परसों (बीता हुआ)
परश्वः परसों (आने वाला)
और
अपि भी
नहीं

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