गायत्री मंत्र जप से लाभ
वेदों का सबसे महत्वशाली गायत्री मंत्र जप से अनेको लाभ होते है जिनमें कुछ लाभ इस प्रकार है ।
गायत्री वेदों को माता तथा पापों का नाश करने वाली है । पवित्र गायत्री से अधिक पवित्र तीनों लोको में और कोई भी नहीं है । गायत्री के जप से हमें वही फल प्राप्त होता है, जो अंगों सहित चारों वेदों के पढने से । इस मन्त्र का दिन में केवल एक वार जप करने से भी कल्याण होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होतीं हैं । यह वेदों का सबसे महत्वशाली मंत्र है । वह सब पापों का नाश करता है । वह हमें अत्यन्त सुन्दर स्वास्थय, सौन्दर्य, शक्ति, जीवन तथा तेज प्रदान करता है ।
गायत्री मन्त्र तीनों पापो का निवारण कर देता है । गायत्री चारों प्रकार के पुरुषार्थ: का दाता है ( चारों पुरुषार्थ: धर्म, अर्थ , काम ओर मोक्ष ) । वह अविद्द्या, काम ओर कर्म तीनों प्रकार के अज्ञान को दूर करता है । गायात्री ह्रदय तथा मस्तिष्क को स्वच्छ तथा निष्कलंक बनाता है । गायत्री मंत्र से उपासक को अष्ट-सिद्धियो की प्राप्ति हो सकती है । गायत्री मनुष्य को बुद्धिमान और शक्तिशाली बनाता है । गायत्री जन्म-मरण के बन्धन से छुटकारा दिलाता है ।
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गायत्री का जप गायत्री के दर्शन कराता है और अन्ततोगत्वा अद्द्वैत – तत्व का ज्ञान प्रदान करता है । अथवा जप करने वाला परब्रह्म परमेश्वर से तल्लीनता, तदरूपता, तन्मयता ओर तदाकारता का अनुभव करता है । जो साधक आरम्भ में ज्ञान-रूपी प्रकाश की याचना करता है, वह अन्त में तल्लीनता की अवस्था में पहुँचने पर परमानन्द की अनुभूति करता है – मैं प्रकाशों का प्रकाश हूँ जो बुद्धि को भी प्रकाशित करता है ।
गायत्री, वेदों को माता हमें सुबुद्धि , सचरित्र, सदविचार तथा अच्छी समझ प्रदान करे । वह हमें पथ दिखाऐ , वह हमें जन्म-मरण के बंधन से छुड़ाये, आवागमन के चवकर से बचाये । धन्य है वह गायत्री जिसने समस्त संसार को उत्पन्न किया ।