कांटेदार पर काम का है शतावर

shatavar plant

शतावर कांटेदार और लता के समान अनेक शाखाओं से युक्त होता है । इसके पत्ते छोटे-छोटे होते हैं । शतावर के पौधे में सफेद रंग के सुगंधित पुष्प निकलते हैं, जो गुच्छों में होते हैं । इसके फल छोटे मटर के दाने के समान गोल होते हैं और पकने पर लाल हो जाते हैं । शतावर की जड़ पृथ्वी के अंदर अधिक दीर्घ काय होती है । यह प्रायः वन प्रदेशों में मिलता है । शतावर भारी, शीतल, मधुर, रसायन तथा रस युक्त होता है । यह नेत्र-ज्योति वर्धक तथा रक्त विकार नाशक है । स्त्रियों के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है । इसके सेवन से उदर रोग, उच्च रक्तचाप, शारीरिक दुर्बलता, वात-पित्त रोग दूर होते हैं । शतावर के प्रमुख औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं

शतावर के औषधीय उपयोग

 
* शतावर की जड़ के 5 ग्राम चूर्ण को दूध में मिलाकर सुबह-शाम पीने से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है ।

* शतावर की जड़, महुआ की छाल, हरड़ का चूर्ण और मूली का रस, इन चारों को एक गिलास पानी में डालकर रख दे । दो-तीन घंटे बाद पानी को छानकर पियें । उच्च रक्तचाप कम हो जाएगा ।

* शतावर की जड़ को सिल पर पीसकर जल में मिलाकर सिर धोने पर बाल तीव्र गति से लंबे होते हैं ।

*आमाशय में कोई परेशानी होने पर 3 ग्राम शतावर का चूर्ण, शुद्ध घी और शक्कर मिलाकर सेवन करने से बहुत लाभ होता है ।

*शतावर का 5 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार शुद्ध घी के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष की विकृति नष्ट होती है ।

* शतावर की जड़ के 10 ग्राम रस का सेवन दूध के साथ करने से हिस्टीरिया रोग का प्रकोप शांत होता है ।

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