प्रतिदिन की ईश्वर साधना के लिए आवश्यक नियम

प्रतिदिन की ईश्वर साधना के लिए आवश्यक नियम

मंत्र जप के लिए आवश्यक नियम (1.) कोई भी मंत्र अथवा ईश्वर का नाम चुन लो और उसका नित्य प्रति १०८ से १ ०८० बार तक जप करो, अर्थात् एक माला से लेकर दस माला तक । अच्छा हैं कि यह मंत्र अपने गुरूमुख से लो । (2.) १०८ दानों की रुद्राक्ष अथवा तुलसी माला का प्रयोग करों । मनको को फेरने के लिए सीधे हाथ की मध्यमा तथा अंगूठे का प्रयोग करो तर्जनी का प्रयोग निषिद्ध हैं । (3.) माला को नाभि से नीचे नहीं लटकने देना चाहिए ।…

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गायत्री पुरश्चरण के सम्बन्ध में कुछ ज्ञातव्य बातें

गायत्री पुरश्चरण के नियम । गायत्री पुरश्चरण के सम्बन्ध में कुछ ज्ञातव्य बात

Some important things regarding Gayatri Purshacharan गायत्री पुरश्चरण:-ब्रह्मा गायत्री में २४ अक्षर होते हैं । अतः गायत्री के एक पुरश्चरण में २४ लाख गायत्री का जप करना होता है । पुरश्चरण के अनेक नियम हैं । २४ लक्ष जप जब तक पूरा न हों जाय बराबर नियम पूर्वक ३००० गायत्री का जप किये जाओ । गायत्री पुरश्चरण के सम्बन्ध में नियम:- १–प्राचीन काल में हिन्दू स्त्रियाँ भी यज्ञोपवीत धारण करती थीं और गायत्री का जप करती थीं किन्तु मनु इसके विरूद्ध हैं । २–पुरश्चरण समाप्त हो जाने के उपरान्त हवन…

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गायत्री पुरश्चरण के द्वारा माँ गायत्री के दर्शन

गायत्री पुरश्चरण के द्वारा माँ गायत्री के दर्शन

गायत्री पुरश्चरण ब्रह्मा गायत्री में २४ अक्षर होते हैं । अतः गायत्री के एक पुरश्चरण में २४ लाख गायत्री का जप करना होता है । पुरश्चरण के अनेक नियम हैं । २४ लक्ष जप जब तक पूरा न हों जाय बराबर नियम पूर्वक ३००० गायत्री का जप किये जाओ । इस तरह अपने मानस रूपी दर्पण का मल हटाकर आध्यात्मिक बीज बोने के लिए खेत तैयार करो । महाराष्ट्र ब्राह्मणो को गायत्री पुरश्चरण करने के बड़ी रुचि होती है । महाराष्ट्र देश के पूना आदि कई नगरों में ऐसे अनेक…

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गायत्री मंत्र की उत्पत्ति

गायत्री मंत्र की उत्पत्ति, गायत्री मंत्र का प्रादुर्भाव

गायत्री मंत्र का प्रादुर्भाव:- (मनुस्मृति, अध्याय २) मनुस्मृति के द्वतीय अध्याय में लिखा है । कि ब्रह्मा जी ने तीनों वेदो को दुह कर क्रम से अ, उ और म् अक्षरों की निकाला जिनके योग से प्रणव का प्रादुर्भाव हुआ ओर जिनके साथ भू: भुवः ओर स्व: नामक । रहस्यपूर्ण व्यहति का भी उदय हुआ हैं जिनसे पृथ्वी आकाश स्वर्ग का बोध होता है । इसी तरह ब्रह्मा जी ने तीनों वेदों से गायत्री को भी निकाला जिसकी पवित्रता और शक्ति अचिन्त्य है । यदि कोई द्विजाति एकांत में प्रणव…

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गायत्री मंत्र जप से लाभ । Benefits of Gayatri Mantra in Hindi

गायत्री मंत्र जप से लाभ । Benefits of Gayatri Mantra in Hindi

गायत्री मंत्र जप से लाभ वेदों का सबसे महत्वशाली गायत्री मंत्र जप से अनेको लाभ होते है जिनमें कुछ लाभ इस प्रकार है । गायत्री वेदों को माता तथा पापों का नाश करने वाली है । पवित्र गायत्री से अधिक पवित्र तीनों लोको में और कोई भी नहीं है । गायत्री के जप से हमें वही फल प्राप्त होता है, जो अंगों सहित चारों वेदों के पढने से । इस मन्त्र का दिन में केवल एक वार जप करने से भी कल्याण होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति होतीं हैं…

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गायत्री मंत्र का अर्थ हिंदी में । Gayatri mantra explanation in hindi

Gayatri mantra

गायत्री मंत्र का हिंदी अर्थ सहित व्याख्या   ओउम भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ ॐ – परब्रह्मा का अभिवाच्या शब्द भूः – भूलोक भुवः – अंतरिक्ष लोक स्वः -स्वर्गलोक त -परमात्मा अथवा ब्रह्म सवितुः -ईश्वर अथवा सृष्टि कर्ता वरेण्यम -पूजनीय भर्गः – अज्ञान तथा पाप निवारक देवस्य – ज्ञान स्वरुप भगवान का धीमहि – हम ध्यान करते है धियो – बुद्धि प्रज्ञा योः – जो नः – हमारा प्रचोदयात् – प्रकाशित करे । अर्थ:– हम ईश्वर की महिमा का ध्यान करते हैं, जिसने इस…

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प्रतिदिन की ईश्वर साधना के लिए आवश्यक साधन

प्रतिदिन की ईश्वर साधना के लिए आवश्यक साधन

ईश्वर साधना के लिए आवश्यक साधन अब तुम्हें जपयोग का पूर्ण परिचय मिल चुका है और तुम यह भी समझ गए कि ईश्वर के नाम में कितनी अमित शक्ति है । अब इसी क्षण से वास्तविक साधना आरम्भ कर दो । प्रतिदिन की साधना के लिए नीचे कुछ बातें बताई जा रही हैं :— १-नियत समय:— सबसे उत्तम समय ब्राह्ममुहूर्त और गोधूलि को बेला है । उस समय सब कुछ सत्व-प्रधान रहता है । नियमितता का होना अत्यधिक अनिवार्य है । २-नियत स्थान:– प्रतिदिन एक ही स्थान पर बैठना बहुत…

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ईश्वर से साक्षात्कार के लिए जप विधान

ईश्वर से साक्षात्कार के लिए जप विधान, ईश्वर के नाम की शक्ति, मंत्र किसे कहते है

ईश्वर का प्रत्येक नाम अचिन्त्य शक्ति समन्वित है:- जप किसी मंत्र अथवा ईश्वर नाम को बार बार भाव तथा भक्ति-पूर्वक दोहराने को कहते है । जप चित्त की समस्त बुराइओं का निवारण कर ईश्वर से जीव का साक्षात्कार कराता है । प्रत्येक नाम अचिन्त्य शक्ति समन्वित है । जैसे अग्नि में प्रत्येक वास्तु को भस्म करने की स्वाभाविकी शक्ति है, उसी प्रकार ईश्वर के नाम में हमारे पापो और वासनाओ को विदग्ध कर देने की शक्ति है । सब मीठी वास्तु से अधिक मीठा, सब अच्छी चीजों से अधिक अच्छा…

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मनुष्य कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति कैसे कर सकता है

  मनुष्य के लिए कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति का सबसे सरल तरीका (कलिसनन्तरणोपनिषत से) द्धापर युग के अंत में नारद ऋषि ब्रह्मा के पास गए और इनसे जाकर पूछा — हे भगवन, में इस संसार में रमते हुए कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति कैसे कर सकूंगा । ब्रह्मा ने कहा –तुम उस कथन को सुनो, जो वेदो में संहित है और जिससे मनुष्य कलियुग में संसार को पार कर मोक्ष की प्राप्ति सकता है । केवल नारायण का नाम लेने से मनुष्य इस कराल कलियुग के बुरे प्रभाव को…

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