श्री राम जानकी का विवाह आज भी महत्वपूर्ण है । यह सभी देवी देवताओं के लिए जहां अलौकिक छटा के दर्शन करने का दिन है, वहीं कुंवारी कन्याओं के लिए अभिलाषा का दिन है । मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का पूरा जीवन हर मनुष्य के लिए प्रेरणादाई है । उनका जीवन का हर क्षण कोई ना कोई संदेश देता है । ऐसे में राम जानकी विवाह भी सभी लोगों में के लिए विशेष अनुकरणीय माना जाता है । हेमंत ऋतु के पावन मार्गशीर्ष मास में ब्रह्मा जी द्वारा निर्देशित शुक्ल…
Read MoreCategory: संत महात्माओं के चरित्र और कथाएं
साईं बाबा की सच्ची पूजा व साईं व्रत विधि
साईं बाबा की सच्ची पूजा करनी है, तो असहाय की मदद करने का संकल्प लें । उनका संदेश ही है कि गरीबों और मजबूरो की हमेशा मदद करो, सुखी रहोगे । विश्व के सभी अवतार पुरुषों में साईं बाबा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है । आधुनिक युग में साईं बाबा को हर दुख के निवारण का माध्यम माना जाता है । श्रद्धा और सबूरी दो शब्द उनके साथ जुड़े हुए हैं और उनके प्रति आस्था व्यक्त करने वाले हर व्यक्ति के अंतर्मन में यह भावना आती है ।…
Read Moreअजामिल : नरक के भागी अजामिल को कैसे मिला मोक्ष
अजामिल एक ब्राह्मण का पुत्र था । वह बड़ा कर्तव्यपरायण, पुण्यात्मा, विनयशील, सत्यवादी और वैदिक क्रियाकलापों को नियमपूर्वक नित्य करता था । एक दिन पिता की आज्ञानुसार वह पूजन के लिए फल, फूल, समिधा और कुश लाने जंगल में गया । लौटते समय दस्यु कन्या के साथ उसे रास्ते में एक शूद्र मिला । बहुत रोकने पर भी अजामिल दस्यु काम्य पर मोहित हो गया । उस दस्यु कन्या को पानी के लिए उसने अपनी सारी पैतृक संपत्ति खर्च कर डाली और अंत में अपनी विवाहित स्त्री को छोड़ कर…
Read Moreभक्त ध्रुव की ध्रुव तारा बनने की पौराणिक कथा
भक्त ध्रुव की पौराणिक कथा राजर्षि मनु के पुत्र उत्तानपाद की दो स्त्रियाँ थी, सुरुचि और सुनीति । सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम था और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव । एक दिन उत्तम अपने पिता उत्तानपाद की गोद में बैठे थे । इतने में ध्रुव भी पिता के पास आये और उनकी गोद में बैठना चाहा । उत्तम की माता सुरुचि के डर से उत्तानपाद ने ध्रुव को गोद में उठाने के लिए हाथ तक न बढ़ाया और सुरुचि ने तो ध्रुव को ताना मारा ।…
Read Moreजप द्वारा सिद्ध हुए महात्मा गण
तुलसीदास, रामदास, कबीर, मीराबाई, बिल्लवमंगल (सूरदास), गौरांग प्रभु, गुजरात में नरसिंह महेता अदि अनेक महात्मो को जप और अनन्य भक्ति द्वारा ही, भगवतदर्शन हुए थे ! जैसे इनको सफलता मिली वैसे ही हे मित्रो आपको मिल सकती है । जो गाना जानते हो वे लय के साथ मन्त्र का गान करे । मन इससे शीघ्र ही उन्नत पहुँच जायगा । जैसे रामप्रसाद बंगाली ने एकान्त में बैठकर भगवान के नाम का गान किया था वैसे ही बैठ कर आप भी गावें । गाते गाते भाव समाधि आ जाएगी । जम्टिस…
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