कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी देवोत्थान, तुलसी विवाह और भीष्म पंचक एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इन तीनों व्रतों की बड़ी महिमा है और कार्तिक माह में इन्हें करने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। हिंदुओं के सारे शुभ कार्य संसार के पालनहार भगवान विष्णु के जागृत अवस्था में ही होने का विधान है। शास्त्रों में वर्णित है कि आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 मास तक पाताल लोक में शयन करते हैं और कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी…
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कार्तिक मास यानी जप तप का माह
कार्तिक मास का महत्व : कार्तिक मास यानी जप तप का माह कार्तिक मास को पर्व त्योहारों एवं पूजा पाठ का माह भी कहा जाता है । धार्मिक ग्रंथों में भी इसे हर महा से श्रेष्ठ कहा गया है । इस दौरान किए गए धार्मिक अनुष्ठान हमें अक्षय फल देते हैं भारतीय हिंदू धर्म संस्कृति एवं धर्म ग्रंथों व पुराणों में कार्तिक मास को मोक्ष तथा पुण्य का महीना कहा गया है । पर बहुत कम लोग जानते हैं की यह भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है । भगवान…
Read Moreचातुर्मास व्रत: सर्वकार्य सिद्धि के लिए करें चातुर्मास व्रत
अगर पूरी श्रद्धा भक्ति से चातुर्मास के दौरान व्रत एवं भगवान श्रीहरि का पूजन किया जाये, तो उपासक के जीवन में प्रत्येक उदेश्य की पूर्ति होती है । साथ ही वह निरोगी काया भी पाते हैं हर साल आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से कार्तिक शुकल पक्ष की एकादशी तक के समय को चातुर्मास कहा जाता है । ऐसी धारणा है की इन चार महीनों मैं इंसान और भगवान का वास्तविक मिलन होता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन चार महीनो में शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह,…
Read Moreमां दुर्गा की आराधना पूरी हर कामना
नव दुर्गा व्रत वर्ष में चार बार पड़ता है। दो गुप्त नवरात्र और दो प्रकट । आज से गुप्त नवरात्र शुरू हो रहे हैं। सिद्धि प्राप्ति के लिए विशेष माने जाते हैं। नवरात्र ऐसी अवधि होती है,जिसमें यदि पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ आद्यशक्ति मां दुर्गा की उपासना की जाए, तो उपासक का जीवन सरल हो जाता है। दरअसल इस काल में उनकी समस्त शक्तियां जागृत होकर नव ग्रहों को नियंत्रित करते हुए मानव कल्याण तथा उनके कष्टों के निवारण कार्य करती हैं। धर्म व धर्मग्रंथों में साल में…
Read Moreशक्ति की पूजा है कन्या पूजन
नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्याओं के पूजन की परंपरा है । इस दिन 2 से 10 साल की कन्याओं को भोजन कराने, वस्त्र आदि देने की परंपरा है । कन्या पूजन शक्ति पूजन का भी एक रूप है नवरात्र में पूजन व व्रत के साथ-साथ कुमारी कन्या के पूजन का विशेष महत्व है । ऐसा माना जाता है कि यदि भक्त कुमारी कन्या का पूजन नहीं करते, तो नवरात्र व्रत और पूजन का फल प्राप्त नहीं होता है । नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन…
Read MoreAshtanhika Maha Parva: शृद्धा आस्था और भक्ति का प्रतीक अष्टान्हिका महापर्व
अष्टान्हिका महापर्व क्या है? संसार सागर से पार होने के लिए नौका के समान सबल निमित्त है भक्ति। भक्ति भी वह, जो समीचीन, दृढ़ और यथार्थ हो। जैन श्रावक भक्तिभावपूर्वक अपार श्रद्धा से ‘अष्टान्हिका पर्व’ में सिद्धचक्र महामण्डल विधान करते हैं। इसे करके व्यक्ति अपने जीवन को धन्य मानते हैं। जैन श्रावक के षट्कर्तव्यों में देवपूजा मुख्य कर्तव्य है। जैनाचार्य पूज्य कुंदकंद स्वामी, समंतभद्रस्वामी, उमास्वामी, पुष्पदंत, वीरसेनाचार्य, जिनसेन आदि ने देवपूजा का विभिन्न ग्रंथों में उल्लेख किया है। देवोपासना के लिए संयमपूर्वक भक्ति एवं साधना को ही प्रशस्त माना गया…
Read Moreसुख दे वर दे हरतालिका तीज
यह व्रत कुंवारी लड़कियां इच्छित वर पाने एवं विवाहिताएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए करती हैं यह व्रत भारत वर्ष में पर्व-त्योहारों में तीन तिजें प्रमुख है – हरियाली तीज, कजली तीज और हरतालिका तीज । पर हिंदू धर्म में हरतालिका तीज की व्यापकता सबसे अधिक है और इसे काफी धूमधाम से मनाया जाता है । कहते हैं भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए पार्वती जी ने करीब सौ वर्षों तक कठिन साधना और तपस्या की । उन्होंने तीज व्रत का अनुष्ठान भी किया…
Read Moreसावन में करें त्रिपुर सुंदरी साधना
श्रावण मास में शिव कृपा पाने के लिए भक्त कई तरह की पूजा करते हैं । इस दौरान यदि माता त्रिपुर सुंदरी की आराधना की जाए, तो भक्त कई परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं । मां त्रिपुर सुंदरी पार्वती का ही रूप है और इन्हें प्रसन्न करने का अर्थ है, शिव कृपा की प्राप्ति श्रावण मास यानी पूजा पाठ एवं शिव आराधना का महीना । इस दौरान शिवजी की स्तुति करने से भक्तों के जीवन में खुशहाली आती हैं और उनके राह की बाधाएं भी दूर होती हैं ।…
Read MoreNirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी व्रत के करने से मिलता है मोक्ष
जानिए निर्जला एकादशी व्रत का महत्व सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी का सर्वाधिक महात्म्य है । इसे करने से उपासक को आरोग्य तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है । साथ ही उन्हें अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है । जेष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी अथवा भीमसेनी एकादशी कहते हैं। एकादशी व्रत में स्नान और आचमन के अलावा जरा सा भी जल ग्रहण नहीं किया जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। एकादशी के दिन सूर्योदय से लेकर द्वादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान…
Read Moreरामनवमी 2023: राम में ही समाया सारा जग
भगवान श्री राम केवल भारत ही नहीं, अपितु सारे जग के आदर्श कहीं जाते हैं । उनका केवल नाम लेना ही भक्तों के सारे कष्ट हर लेता है । रामनवमी के दिन उनकी विधिवत पूजा करने से भक्तों का आत्मबल बढ़ता है रामनवमी को केवल देवी के नौवें रूप के अवतरण ही नहीं, बल्कि भगवान श्री राम के पृथ्वी पर अवतरण के दिन के रूप में भी जाना जाता है । श्री राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था । यह दिन नवरात्र…
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