घर से बाहर ऐसे ही टहल रही थी, तभी एक सत्रह – अठारह साल का लड़का मेरे पास आया और कहने लगा कि मेरे पापा बहुत बीमार हैं और उनका ऑपरेशन होना है। मगर मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि उनका इलाज करवा सकूं। मैडम अगर आप जैसे लोग कुछ मदद करें, तो शायद वे बच जाएँ। उसकी कहानी को सुन एक पल के लिए तो मैं भी भावुक हो गई थी। लेकिन पता नहीं मुझे उसकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा था। मैंने उससे पूछा,’ क्या भीख…
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नैतिक कहानियां एक ऐसी कहानी होती हैं, जो एक नैतिक सन्देश या सीख देती हैं। इन कहानियों का मुख्य उद्देश्य लोगों को सही और गलत के बीच अंतर समझाना होता है। इन कहानियों के माध्यम से, लोग नैतिक मूल्यों और आदर्शों के बारे में सीखते हैं, जो उन्हें एक अच्छे व्यक्ति बनने में मदद करते हैं।
नैतिक कहानियों में कुछ चरित्र होते हैं, जो दूसरों की सहायता करने या अपनी गलतियों से सीखने के माध्यम से समस्याओं का सामना करते हैं। इन कहानियों के माध्यम से, लोग सच्चाई, ईमानदारी, समर्पण, न्याय और संवेदनशीलता जैसे नैतिक मूल्यों के बारे में सीखते हैं। ये कहानियां बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी भी उम्र के लोगों को नैतिकता की महत्वपूर्णता के बारे में समझाने के लिए बहुत उपयोगी होती हैं।
नैतिक कहानियां जीवन के असली मूल्यों को समझाने का एक अच्छा माध्यम होती हैं जो हमें अपनी सोच और व्यवहार के बारे में सोचने पर मजबूर करती हैं। इन कहानियों से हम सीखते हैं कि सच्चे नैतिक मूल्य क्या होते हैं और उन्हें अपने जीवन में कैसे उतारा जाए।
नैतिक कहानियां आमतौर पर उस समय सुनाई जाती हैं जब हम अपने आसपास कुछ नेताओं और नैतिक आदर्शों को खो चुके होते हैं। इन कहानियों से हम सीखते हैं कि अगर हम नैतिक वृद्धि करना चाहते हैं तो हमें अपने स्वयं के विकास पर ध्यान देना होगा। इन कहानियों में व्यक्ति को नैतिक तथा दायित्वपूर्ण भूमिकाओं का पालन करने का जीवन में महत्व बताया जाता है।
नैतिक कहानियां सभी उम्र के लोगों के लिए उपयोगी होती हैं। इन कहानियों के माध्यम से हम नैतिक और दायित्वपूर्ण आदर्शों का समझ पाते हैं, जिससे हमें अपने जीवन में सफलता हासिल करने में मदद मिलती है। इन कहानियों के माध्यम से हम नैतिकता, समझदारी, सामाजिक जवाबदेही, और विश्वासघात से बचने के तरीकों को सीखते हैं।
नैतिक कहानियों का महत्व इस बात में है कि वे हमें सच्चाई के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को समझने और उन्हें अपने जीवन में उतारने के लिए प्रेरित करती हैं।
नैतिक कहानी: परेशानी में ऐसी कॉल सभी को आए
नैतिक कहानी: किसी काम से मैं दूसरे शहर जा रहा था। उस दिन पहले की अपेक्षा बस स्टॉप पर भीड़ ज्यादा थी। मन में आया कि जब तक भीड़ ना छट जाए एक कप चाय ही पी ली जाए। यह सोच एक चाय की दुकान पर जा बैठा। सावन का महीना था, इसलिए हर बस में कांवड़ियों की संख्या ज्यादा थी। जितनी बसें उस समय निकाली उसमें भोले की भोले भरे थे। उनकी कावड़ बसों की छतों पर लदीं थी। करीब आधे घंटे बाद एक बस आई जिसकी सीटें खाली…
Read Moreनैतिक कहानी : अब मैंने जाना, कर भला तो हो भला
नैतिक कहानी: बात उन दिनों की है, जब मैं एम्स में अपनी किडनी के इलाज के लिए भर्ती था। क्योंकि दवा काफी महंगी थी, इसलिए मेरे पास रखे पैसे लगभग खत्म होते जा रहे थे और मैं गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। मेरी एक दवा तो ऐसी थी कि मात्र 10 टेबलेट के लिए मुझे पंद्रह सौ रूपए चुकाने पड़ते थे। उस दिन चेकअप करने के लिए डॉक्टर साहब आए और अचानक मेरी दवा बदल दी। मेरे पास उस दवा के पंद्रह टेबलेट बचे हुए थे। मेरे तो…
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Hindi Kahaniya (Moral stories) | Short Moral Story In Hindi | शिक्षाप्रद कहानियां एक मोरल स्टोरी एक प्रकार की कहानी होती है जो किसी सीख या नैतिक मूल्य को समझाने के उद्देश्य से लिखी जाती है। इसमें आमतौर पर ऐसे पात्र होते हैं जो किसी चुनौती या विवाद से जूझते हैं, और कहानी का पॉइंट पात्रों की कार्रवाई और उनके फैसलों के चारों ओर घूमता है। एक मोरल स्टोरी का उद्देश्य उस पाठक को एक नैतिक या नैतिक सबक प्रदान करना होता है जो उनके जीवन में लागू किया जा…
Read Moreनैतिक कहानी: किसी का उपहास करना ठीक बात नहीं
मेरा एक दोस्त बरेली में रहता है। वह काफी कुशाग्र है। जब भी मैं किसी परेशानी में आता हूं, तो वह मेरी मदद करता है। पर वह अपने ऊपर इठलाने वाले लोगों से काफी चिढ़ता है। कैरम के खेल में उसे महारत हासिल है। लेकिन इस बात का वह घमंड नहीं करता। एक बार वह मेरे शहर में आया था। हम दोनों दोस्त साथ-साथ खूब घूमते रहेते। एक दिन मेरी कॉलोनी में कुछ लड़के कैरम खेल रहे थे। हम दोनों टहलते हुए उनके पास खड़े होकर उनका खेल देखने लगे।…
Read Moreनैतिक कहानी: तमाचा
दफ्तर से लौट कर आने पर राहुल का चेहरा खिला-खिला न पाकर उसके पंडित मित्र दीनानाथ ने पूछा, ‘आज तू उदास क्यों है, मेरे यार?’ राहुल बोला, ‘आज मेरे दफ्तर के सामने वाली सड़क पर मेरी टक्कर एक ट्रैक्टर से हो गई। मैं तो किसी तरह बच गया, मगर….मगर।’ मगर क्या? दीनानाथ ने चौंक कर पूछा, मानो कि राहुल का बड़ा नुकसान हो गया हो। राहुल बोला, ‘मैं तो बच गया, लेकिन वह टैक्टर वाला मुझे बचाने के चक्कर में अपना संतुलन नहीं बना पाया और उसका ट्रैक्टर एक पेड़…
Read Moreनैतिक कहानी: दीपावली की खुशियां बांटूंगा
दीपावली के मौके पर मम्मी-पापा हमेशा हिदायत देते कि पटाखे छोड़ते समय हमेशा दूसरों की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए। इन बातों से बेपरवाह मेँ पटाखे हाथ में लेकर छोड़ता और कभी कभी राहगीरों पर भी पटाखे जलाकर फेंक देता था। पिछले साल मेने ऐसा ही किया था। उस रात गली में हम पटाखे छोड़ रहे थे। कुछ देर तक पापा हमारे साथ खड़े रहे और फिर हमें हिदायत देते हुए अंकल के साथ घर में चले गए। हमारे मुहल्ले में कई लोगों का आवागमन चल रहा था। तभी एक…
Read Moreनैतिक कहानी: दशहरे का मेला
दशहरे का मेला मुहल्ले के बच्चों के साथ माला भी दशहरे का मेला देखने गई। मेले में तरह-तरह के झूले व् सर्कस लगे थे। खिलौनों की दुकाने सजी हुई थी। रंग बिरंगे गुब्बारे तथा तरह-तरह की मिठाइयों से सजी दुकानें उसे बहुत अच्छी लगीं। वह चाट खाने के लिए ठेले के पास खड़ी हुई, तभी एक चोर उसका पर्स ले भागा। वह चाट भी नहीं खा पाई। सारे बच्चे जो उसके साथ गए थे, उसका साथ छोड़कर चल दिए। वे मिठाइयों, आइसक्रीम और समोसे का लुफ्त उठा रहे थे। अर्चना…
Read Moreनैतिक कहानी: चूहा और गिलहरी
एक था चूहा और एक थी गिलहरी। चूहा शरारती था दिनभर ची ची करता हुआ मौज उड़ाता। गिलहरी भोली थी। टी टी करती हुई इधर-उधर घूमती रहती। एक दिन दोनों की मुलाकात हो गई। अपनी प्रशंसा करते हुए चूहे ने कहा, मुझे लोग मूषक राज कहते हैं। और गणेश जी की सवारी के रूप में जानते हैं। मेरे पैने-पैने हथियार सरीखे दांत लोहे के पिंजरे को तो क्या किसी भी चीज को काट सकते हैं। मासूम गिलहरी को यह बात सुनकर बड़ा बुरा लगा। बोली, भाई तुम दूसरों का नुकसान…
Read Moreनैतिक कहानी: जैसे को तैसा
एक बार की बात है। एक गांव में गरीब किसान रामू रहता था। उसकी दो बेटियां थी। जब वह अपनी पहली पुत्री का विवाह कर रहा था, तो उसे कुछ बर्तनों की आवश्यकता पड़ी। उसने पास के एक साहूकार से किराए पर कुछ बर्तन ले लिए। विवाह के बाद उसने साहूकार के बर्तन वापस कर दिए, जिनके साथ किसान के छोटे-छोटे बर्तन भी चले गए। जब वह किसान अपने छोटे बर्तनों को लेने गया, तो साहूकार ने कहा, ‘नहीं, ये तो मेरे बर्तनों के छोटे बच्चे हैं।’ यह कहकर उसने…
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