दफ्तर से लौट कर आने पर राहुल का चेहरा खिला-खिला न पाकर उसके पंडित मित्र दीनानाथ ने पूछा, ‘आज तू उदास क्यों है, मेरे यार?’ राहुल बोला, ‘आज मेरे दफ्तर के सामने वाली सड़क पर मेरी टक्कर एक ट्रैक्टर से हो गई। मैं तो किसी तरह बच गया, मगर….मगर।’ मगर क्या? दीनानाथ ने चौंक कर पूछा, मानो कि राहुल का बड़ा नुकसान हो गया हो। राहुल बोला, ‘मैं तो बच गया, लेकिन वह टैक्टर वाला मुझे बचाने के चक्कर में अपना संतुलन नहीं बना पाया और उसका ट्रैक्टर एक पेड़…
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सर्वोत्तम शिक्षाप्रद कहानियां
नैतिक कहानी: दीपावली की खुशियां बांटूंगा
दीपावली के मौके पर मम्मी-पापा हमेशा हिदायत देते कि पटाखे छोड़ते समय हमेशा दूसरों की सुरक्षा का ख्याल रखना चाहिए। इन बातों से बेपरवाह मेँ पटाखे हाथ में लेकर छोड़ता और कभी कभी राहगीरों पर भी पटाखे जलाकर फेंक देता था। पिछले साल मेने ऐसा ही किया था। उस रात गली में हम पटाखे छोड़ रहे थे। कुछ देर तक पापा हमारे साथ खड़े रहे और फिर हमें हिदायत देते हुए अंकल के साथ घर में चले गए। हमारे मुहल्ले में कई लोगों का आवागमन चल रहा था। तभी एक…
Read Moreनैतिक कहानी: दशहरे का मेला
दशहरे का मेला मुहल्ले के बच्चों के साथ माला भी दशहरे का मेला देखने गई। मेले में तरह-तरह के झूले व् सर्कस लगे थे। खिलौनों की दुकाने सजी हुई थी। रंग बिरंगे गुब्बारे तथा तरह-तरह की मिठाइयों से सजी दुकानें उसे बहुत अच्छी लगीं। वह चाट खाने के लिए ठेले के पास खड़ी हुई, तभी एक चोर उसका पर्स ले भागा। वह चाट भी नहीं खा पाई। सारे बच्चे जो उसके साथ गए थे, उसका साथ छोड़कर चल दिए। वे मिठाइयों, आइसक्रीम और समोसे का लुफ्त उठा रहे थे। अर्चना…
Read Moreनैतिक शिक्षा पर आधारित एक शिक्षाप्रद कहानी । भोला और समीर
एक गांव में दो दोस्त भोला और समीर रहते थे। समीर मेहनत पर भरोसा करता था, वहीं भोला चोरी य जालसाजी से अमीर बनने के सपने देखता रहता था। एक दिन की बात है। समीर अपने खेत में सिंचाई का काम कर रहा था, तभी उसने देखा कि भोला दौड़ता हुआ गांव के समीप झाड़ियों में जा रहा है। पांच मिनट के बाद वह झाड़ियों से बाहर आया। उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसकी जिंदगी ही छीन ली हो। वहां से भोला तुरंत गांव की…
Read Moreनैतिक कहानी: जैसे को तैसा
एक बार की बात है। एक गांव में गरीब किसान रामू रहता था। उसकी दो बेटियां थी। जब वह अपनी पहली पुत्री का विवाह कर रहा था, तो उसे कुछ बर्तनों की आवश्यकता पड़ी। उसने पास के एक साहूकार से किराए पर कुछ बर्तन ले लिए। विवाह के बाद उसने साहूकार के बर्तन वापस कर दिए, जिनके साथ किसान के छोटे-छोटे बर्तन भी चले गए। जब वह किसान अपने छोटे बर्तनों को लेने गया, तो साहूकार ने कहा, ‘नहीं, ये तो मेरे बर्तनों के छोटे बच्चे हैं।’ यह कहकर उसने…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी । ज्ञान निधि का संरक्षण धर्म है
ह्वेनसांग भारत का परिभ्रमण कर जहाज से वापस चीन जा रहा था । उसेके साथ ग्रंथों से भरी एक पेटिका भी थी । जहाज अभी कुछ ही दूर गया था की तूफान मैं फंस गया । जहाज के डगमगाने पर प्रधान नाविक ने यात्रिओं से फालतू सामान बिना देर किये समुद्र में फेकने की अपील की । तत पश्चात नाविक ने ह्वेनसांग को भी उसे पेटिका को फेकने को कहा । ह्वेनसांग असमंजस में पड़ गया क्योंकि यह उसकी भारत यात्रा की एक मात्र पूंजी थीं । इसलिए उसने उस…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी । तब मैंने जाना पानी का मोल
बात चार साल पहले की है । मैंने इंटर पास करके स्नातक मैं दाखिले के लिए फॉर्म भरा था, जिसकी प्रवेश कक्षा के लिए हमें पटना जाना था । सुबह नौ बजे की ट्रैन थी । हमने सारी तैयारी कर ली थी । पर हमें बहार का खुला पानी पीने की आदत नहीं थी, इसलिए बोतल मैं घर का पानी भी भर लिया था । उस दिन गर्मी का प्रकोप कुछ अधिक था । जब ट्रैन चल पड़ी और थोड़ी देर के बाद हमें प्यास लगी, तब हमें पता चला…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी । सादगी ही मनुष्य का आभूषण है
महान पुरुषों का एक प्रमुख गुण सादगी माना जाता है । देश के चर्चित प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी इतने ऊंचे ओहदे पर होने के बाद भी एक सहिष्णु एवं सादगी पूर्ण जीवन जीते थे । उनके जीवन की कई ऐसी घटनाएं हैं, जो आज भी हमारे लिए प्रेरणादाई हैं । ऐसी ही एक घटना है । एक बार वह कार से कहीं जा रहे थे । रास्ते में खेतों का हरियाली पूर्ण दृश्य काफी मनोहर लग रहा था । अचानक उनकी नजर चने के खेत पर पड़ी । उन्होंने…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी: जब झेप गया बिगड़ैल आदित्य
शिक्षाप्रद कहानी: मेरे पड़ोस में रहने वाले आदित्य को खुद पर बहुत घमंड था । वह अपने पिता का इकलौता पुत्र था इसलिए घर में उसे बड़ा दुलार मिलता था । वह किसी से विनम्रता से बात नहीं करता था । अपने से बड़ों के साथ थी वह बदतमीजी करता रहता था । जो उसकी बात नहीं मानता था, उसे मारता भी था । बाइक तो कभी भी 60 से कम नहीं चलती थी । जब वह गाड़ी लेकर सड़क पर आता था, तो लोगों की दिल की धड़कनें बढ़…
Read Moreशिक्षाप्रद कहानी । कम नहीं हुआ पिता का प्यार
उन दिनों शहर में स्थित एक वृद्ध आश्रम में नौकरी कर रहा था । एक दिन अश्वनी नाम का एक मित्र मेरे पास एक वृद्ध के साथ आया उसने कहा इनका अपना कोई नहीं है । यदि उन्हें यहां जगह मिल जाए तो कल्याण हो जाएगा । मैंने तुरंत प्रबंधक से कहकर उन्हें ठिकाना दिला दिया और उनके थैले को अलमारी में सुरक्षित रख दिया । कुछ दिनों के बाद उनकी मृत्यु हो गई । पता चला कि उन्हें रक्त कैंसर था, जिसकी अंतिम अवस्था चल रही थी । आश्रम…
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