संस्कृत उपसर्ग: परिभाषा, अर्थ, उदाहरण और सूची

संस्कृत उपसर्ग: परिभाषा, अर्थ, उदाहरण और सूची

संस्कृत उपसर्ग परिभाषा: जो शब्द किसी शब्द के पहले आकर उसके अर्थ में विशेषता पैदा कर देते हैं अथवा उसका अर्थ ही बदल देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं; जैसे- “हार = माला” यदि उसके पहले ‘प्र’ जोड़ दिया जाये तो इसका अर्थ मारना हो जायेगा, ‘आ’ जोड़ देने से इसका अर्थ ‘भोजन’ करना हो जायेगा । इन्हीं उपसर्गों के इस परिवर्तन के लिए इस श्लोक को कण्ठस्थ कर लेना चाहिए- उपसर्गेण धात्वर्थो वलादन्यत्र नीयते। प्रहाराहारसंहारबिहारपरिहारवत् ।। अर्थ-उपसर्ग से किसी धातु का अर्थ बलपूर्वक कहीं का कहीं ले जाया जाता…

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संस्कृत में अव्यय : परिभाषा, अर्थ एवं उदाहरण- Avyay In Sanskrit

संस्कृत में अव्यय : परिभाषा, अर्थ एवं उदाहरण- Avyay In Sanskrit

संस्कृत अव्यय की परिभाषा एवं अर्थ जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक आदि से कभी भी कोई परिवर्तन नहीं होता है, वे अव्यय शब्द कहे जाते हैं। सदृशं त्रिषु लिंगेषु सर्वासु च विभक्तिषु। वचनेषु च सर्वेषु यत्रास्ति तदव्ययम् ।। जो तीनों लिंगों (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग), सभी विभक्तियों (प्रथमा से सप्तमी) सब वचनों (एकवचन, द्विवचन, बहुवचन) के अनुसार घटे-बढ़े नहीं, वह अव्यय है। अतएव अनुवाद करते समय इनके रूप नहीं चलाने पड़ते। वे वाक्य में ज्यों के त्यों रख दिये जाते हैं। कुछ उपयोगी अव्यय नीचे लिखे जा रहे हैं- संस्कृत…

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संस्कृत शब्द रूप – परिभाषा, प्रकार और उदाहरण । Shabd Roop in Sanskrit

संस्कृत शब्द रूप - परिभाषा, प्रकार और उदाहरण । Shabd Roop in Sanskrit

संस्कृत में शब्द रूप हिन्दी की तरह संस्कृत में भी शब्दों को निम्न प्रकार से पाँच भागों में बाँटा जा सकता है- (१) संज्ञा, (२) सर्वनाम (३) विशेषण (४) क्रिया एवं (५) अव्यय । संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण में लिंग तथा वचन के कारण तथा क्रिया में काल, पुरुष तथा वचन के कारण रूप परिवर्तन होता है, किन्तु अव्ययों में कभी परिवर्तन नहीं होता है। प्रस्तुत प्रकरण में हम इन सबका संक्षेप में वर्णन करेंगे । सब्द रूप को समझने से पहले हमें संस्कृत में लिंग, वचन, पुरुष अदि के…

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विलोम शब्द संस्कृत में – Vilom Shabd In Sanskrit

Vilom Shabd In Sanskrit - संस्कृत विलोम शब्द

विलोम शब्द संस्कृत में – संस्कृत के विलोम शब्द   संस्कृत विलोम शब्द  विलोम शब्द की परिभाषा विपरीतार्थक (विलोम शब्द) – जो शब्द अर्थ में एक-दूसरे के पूर्णतः विपरीत होते हैं उन्हें विपरीतार्थक या विलोम शब्द कहते हैं। प्रायः भिन्न शब्दों का उपसर्ग परिवर्तन द्वारा तथा लिंग परिवर्तन द्वारा निर्माण होता है। विलोम शब्दों का उपयोग वाक्यों या पाठों में विचारों को स्पष्ट करने और उन्हें रूपांतरित करने में मदद करता है। उदाहरण के परीक्षोपयोगी कुछ विलोम शब्द यहाँ दिये जा रहे हैं– Vilom Shabd In Sanskrit [#] शब्द  = …

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संस्कृत में पर्यायवाची शब्द – Paryayvachi Shabd In Sanskrit

Paryayvachi Shabd In Sanskrit । संस्कृत में पर्यायवाची शब्द

पर्यायवाची शब्द संस्कृत में – संस्कृत के पर्यायवाची शब्द   पर्यायवाची शब्द की परिभाषा पर्यायवाची शब्द (Synonyms) वह शब्द होते हैं जो एक ही अर्थ या सामान्य अर्थ को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं। इन शब्दों का उपयोग भाषा को सुंदर, विविध और समृद्ध बनाने में मदद करता है। ये शब्द एक साथ प्रयोग किए जा सकते हैं ताकि वाक्यों या पाठों को रोचक और संवेदनशील बनाया जा सके। यह शब्द समृद्धि, संगतता और विचारों को समझाने में सहायक होते हैं। एक शब्द के लिए उसी…

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समास संस्कृत में – Samas In Sanskrit

समास संस्कृत में । Samas In Sanskrit

Samas Case – Sanskrit Grammar – Samas in Sanskrit समास की परिभाषा जब दो या दो से अधिक पदों में प्रथम पद की विभक्ति का लोप होकर एक शब्द बनता है, तो उसे समास कहते हैं। यदि पुनः शब्दों में विभक्ति लगाकर अलग-अलग कर दिया जाता है, तो उसे विग्रह कहते हैं। समास में कम से कम दो पद होते हैं। एक को पूर्व पद और दूसरे को उत्तर पद कहते हैं। दोनों पदों को मिलाने पर जो शब्द बनता है उसको समस्त पद कहा जाता है। किसी समास में…

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विसर्ग संधि: परिभाषा, नियम एवं उदाहरण

विसर्ग सन्धि: परिभाषा, नियम एवं उदाहरण

विसर्ग सन्धि (संस्कृत में) विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मिलने से जो विकार होता है, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। जैसे- बालः + चलति = बालश्चलति । यहाँ विसर्ग का ‘श्’ हो गया है, अतः विसर्ग सन्धि है। विशेष-विसर्ग सदा किसी न किसी स्वर के बाद ही आता है, वह व्यंजन के बाद कदापि नहीं आता। जैसे-ऊपर लिखे ‘बालः’ में विसर्ग ‘ल’ के अन्त के ‘अ’ के बाद ही है। इसके प्रधान नियम निम्न हैं- 1. विसर्ग के बाद क, ख, च, छ, ट, ठ, प, फ, क,…

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व्यंजन संधि या हल् संधि: परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

व्यंजन संधि या हल् संधि: परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

व्यंजन संधि या हल् सन्धि (संस्कृत में) व्यंजन के बाद स्वर अथवा व्यंजन के आने पर जो विकार होता है, उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं। जैसे- वाक् + ईशः = वागीशः, सत् + चित् = सच्चित् । यहाँ पहले उदाहरण में ‘क्’ व्यंजन के बाद ‘ई’ स्वर आया है और दूसरे उदाहरण में ‘त्’ व्यंजन के बाद ‘च’ व्यंजन आया है और उसी व्यंजन में परिवर्तन हुआ है अतः यहाँ व्यंजन सन्धि है। विशेष-व्यंजन सन्धि में स्वर रहित व्यंजन से तात्पर्य होता है। अतः आगे लिखे नियमों में हर स्थान…

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स्वर संधि: या अच् संधि की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

स्वर संधि: अच् संधि की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

सन्धि शब्दों के उच्चारण में जिह्वा एक शब्द के उच्चारण के पश्चात् दूसरे शब्द का उच्चारण करती है अतः प्रथम शब्द का अन्तिम स्वर व्यंजन अथवा विसर्ग द्वितीय शब्द के प्रारम्भिक स्वर अथवा व्यंजन से प्रभावित होते हैं और उनमें जो परिवर्तन होता है वही परिवर्तन व्याकरण में सन्धि का रूप ग्रहण करता है। सन्धि तीन प्रकार की होती है- १. स्वर सन्धि या अच् सन्धि । २. व्यंजन सन्धि या हल् सन्धि । ३. विसर्ग सन्धि । स्वर अथवा अच् सन्धि (संस्कृत में) प्रथम शब्द के अन्तिम स्वर के…

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जानें, सत्संग जरूरी क्यों ?

{ सत्संग की आवश्यकता } सत्संग :- जीवन सदैव परिवर्तनशील है जीवन सुखद परिस्थितियों में सुख के भाव से बंध कर सुख को स्थायी करने के प्रयास से संघर्ष करता रहता है । जब वो सफल नहीं हो पता तो उदासी अकेलेपन, दुख और भय से घिर जाता है ऐसे अंधकारमय जीवन रुपी कमरे में सत्संग किसी झिर्री (सुराग, छेद) से आती हुई धुप के समान है जो अंधेरे कमरे में प्रकाश बिखेर कर अँधेरा दूर करती रहती है । अतः जीवन रुपी कमरे में सत्संग रुपी धूप आने के…

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