अदरक एक महाऔषधि (Ginger a good medicine)-जानें अदरक के उपयोग
अदरक एक महाऔषधि
पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेद में अदरक का उपयोग औषधि के रूप में प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। आयुर्वेद में अदरक को ‘महाऔषधि’ कहा जाता है। इसका सेवन अपच, गैस के उपचार, हाजमा दुरुस्त करने के लिये किया जाता है। अदरक को अंग्रेजी में जिंजर और वनस्पति वैज्ञानिक जिंजिवर ऑफिसिनेल कहते हैं। अदरक के तनों को जो कि जमीन के अन्दर होते हैं, उपयोग में लाया जाता है।
अदरक में पोषक तत्व :
ताजी अदरक में 80.3% जल, 2.3% प्रोटीन 0.9% वसा, 2.4% रेशे और 12.3% शर्करा की उपस्थिति पायी गयी है। इसमें आयरन, कैल्शियम, फॉस्फेट इत्यादि खनिज लवण, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं।
सूखी अदरक को सोंठ कहा जाता है इसमें 9-12% जल, 9% प्रोटीन, 3-8% रेशे, 60-70% शर्करा तथा 5-6% वसा मौजूद होते हैं।
अदरक में अनेक अन्य रसायन होते हैं, जिनमें जिंजरआल मुख्य होते हैं। साथ ही अदरक की विशिष्ट महक विभिन्न वाष्पशील तेलो, जिसमे आलियोरेसिन मुख्य होता है, के कारण होती है।
अदरक : एक पारंपरिक औषधि
अदरक का उपयोग लगभग सभी देशों में औषधि के रूप में किया जाता है। चीन में अदरक का उपयोग पेट दर्द, दस्त, मितली, हैजा, दमा, हृदय, श्वसन तन्त्र रोगों, दांत दर्द, गठिया बाय, जोड़ों के दर्द इत्यादि के लिये किया जाता है।
आयुर्वेद और घरेलू औषधि के रूप में अदरक का सेवन अपच, गैस दूर करने, पेट दर्द, खांसी के उपचार, रक्त प्रवाह दुरुस्त रखने, भूख बढ़ाने, दर्द- सूजन दूर करने, पेशाब की मात्रा बढ़ाने, हाजमा ठीक करने इत्यादि के लिये व्यापक रूप से किया जाता है।
अमेरिका में अदरक का उपयोग यात्रा के दौरान तथा गर्भावस्था में मितली, उल्टी के उपचार के लिये किया जाता है।
अदरक के उपयोग
भारतीय व्यंजनों में अदरक का बहुतायत से उपयोग होता है। इसका सेवन सब्जी, चटनी, अचार, सॉस, टॉफी, पेय पदार्थों, बिस्कुट, ब्रेड इत्यादि में स्वाद, खुशबू के लिये किया जाता है। व्यंजन बनाते समय भी अदरक के तेल का उपयोग किया जाता है।
आधुनिक शोधों के अनुसार अदरक के गुण
अदरक के लाभकारी प्रभाव की आधुनिक शोधों से भी पुष्टि हो गयी है। अदरक के पाचन तन्त्र, हृदय रोग, संक्रमण, माइग्रेन, जोड़ों के दर्द, कैंसर इत्यादि अनेक रोगों में लाभकारी प्रभाव की पुष्टि हो गयी है।
अदरक और पाचन तन्त्र : अदरक में मौजूद सक्रिय तत्व पाचन शक्ति बढ़ाते हैं। यह आंतों में भोज्य पदार्थों के अवशोषण में सहायक होते हैं। कब्ज, गैस से राहत मिलती है, क्योंकि इसके सेवन करने से आंतों की मांसपेशियां सक्रिय हो जाती हैं।
शोधों से ज्ञात हुआ है कि करीब एक ग्राम अदरक सेवन करने से यात्रा के दौरान संवेदनशील व्यक्तियों में होने वाली मितली और उल्टी से आराम मिलता है। अदरक इस समस्या से राहत देने वाली दवाइयों से ज्यादा प्रभावी होता है।
इसी प्रकार 250 मि.ग्रा. सोंठ को दिन में 4 बार सेवन करने से महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली मितली व उल्टी से आराम मिलता है। और इसके सेवन करने से कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते।
सूजन कम करना : जोड़ों, हड्डियों के रोगों के कारण सूजन, दर्द, हाथ पैर चलाने में दिक्कत इत्यादि समस्याएं होने पर अदरक के सेवन से राहत मिलती है। शोधों से ज्ञात हुआ है कि अदरक सेवन करने से सूजन एवं अन्य लक्षण उत्पन्न करने वाले रसायन हार्मोन जैसे प्रोस्टाग्लैंडिन, ल्यूकोट्रिन का उत्पादन कम हो जाता है। डेनमार्क में हुये अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि 0.5-1 ग्राम अदरक प्रतिदिन 3 माह तक सेवन करने से आस्टियो आथ्राइटिस, रूमेटायड आथ्राइटिस तथा मांसपेशियों के दर्द के मरीजों को आराम मिलता है।
अदरक के जीवाणु प्रतिरोधक गुण : अदरक एक शक्तिशाली जीवाणुनाशक भी है। कुछ हद तक इसमें फंफूद को नष्ट करने के गुण भी होते हैं। शोधों से पता चला है कि अदरक बड़ी आंतों में पाये जाने वाली बैक्टीरिया का बढ़ना रोक देता है जिसके कारण गैस से राहत मिलती है। अदरक सेवन करने से अनेक प्रजाति के बैक्टीरिया, जो कि दस्त, पेचिश इत्यादि रोग उत्पन्न करते हैं, नष्ट हो सकते हैं।
अदरक अनाजों में लगने वाले फंफूद को भी नष्ट कर देता है। यह फंफूद जहरीला तत्व ‘एफ्लेटॉक्सिन’ स्रावित करता है जो यकृत में कैंसर पैदा कर सकता है।
अदरक और हृदयधमनी तन्त्र : चीन में पारंपरिक रूप से अदरक का सेवन शरीर के द्रव्य का बहाव सुचारु रूप से बनाये रखने के लिये किया जाता है। अदरक पूरे शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ा देता है। हृदय की मांसपेशियाँ ज्यादा शक्ति से संकुचित होती हैं, रक्त वाहिनियां फैल जाती हैं, जिससे ऊतकों और कोशिकाओं का रक्त प्रवाह बढ़ जाता है और मांसपेशियों को अकड़न, दर्द, तनाव आदि से आराम मिलता है।
जापान में हुए शोध से सिद्ध हुआ है कि अदरक के प्रभाव से रक्तचाप कम हो जाता है, हृदय पर जोर कम पड़ता है। अदरक के प्रभाव से रक्त प्लेटलेट कोशिकाओं का चिपचिपापन कम हो जाता है जिससे रक्त थक्का बनने की संभावना कम हो जाती है और फलस्वरूप अनेक रोगों जैसे हृदय आघात, स्ट्रोक (पक्षाघात) इत्यादि से बचाव हो सकता है। अदरक सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन करने के बाद कोलेस्ट्रॉल स्तर भी कम बढ़ता है।
अदरक में ऑक्सीडेंट प्रतिरोधी गुण होते हैं। सक्रिय, हानिकारक ऑक्सीजन फ्री रेडिकल अनेक रोगों का कारण होते हैं और अदरक के सेवन से इन पर नियंत्रण होता है।
अदरक और माइग्रेन : माइग्रेन दर्द का पूर्वाभास होने पर 500-600 मि.ग्रा. सोंठ का सेवन करने से और फिर प्रत्येक 4 घंटे के अंतराल पर 3 से 4 दिन सेवन करने से माइग्रेन के प्रभाव से बचाव हो सकता है या प्रभाव हल्का होता है।
कैंसर और अदरक : देश-विदेश में हुए अनेक शोधों से ज्ञात हुआ है कि अदरक में कैंसर से बचाव के गुण विद्यमान होते हैं। मान्यता है कि अदरक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसके सेवन से कैंसर से बचाव में सहायक एन्जाइम सक्रिय हो जाते हैं, और अदरक में मौजूद तत्व कैंसरनाशक तत्वों को निष्क्रिय कर देते हैं। इन्हीं प्रभावों के कारण अदरक कैंसर से बचाव कर सकता है।
अदरक का उपयोग घरेलू दवा के रूप में व्यापक रूप से किया जाता है। आयुर्वेद ने इसको महाऔषधि माना है और इस तथ्य की सच्चाई की काफी हद तक आधुनिक शोधों से भी पुष्टि हो गई है। अदरक अनेक रोगों के उपचार में लाभकारी होता है, और अन्य दवाओं के समान इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते।
अदरक का भोजन में उपयोग करने से भोजन स्वादिष्ट तो होता ही है, साथ ही यह स्वास्थ्यवर्धक भी होता है। इसका उपयोग अनेक रोगों के उपचार में भी किया जा सकता है।
(औषधि के रूप में सेवन करने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें)
श्रोत:- विज्ञान प्रगति पत्रिका