शास्त्रों में कहा गया है, असहाय, निर्बल एवं कमजोर की सहायता करनी चाहिए और पशु-पक्षियों को खिलाना चाहिए। इससे कल्याण होता है।
एक दिन मैं किसी काम से बुलंदशहर गया था मुझे वहां शाम हो गई और रात वहीं पर बितानी थी। लिहाजा मैंने अपने दोस्त का मोबाइल नंबर मिलाया और पता पूछ कर उसके घर की ओर चल पड़ा। क्योंकि उसका घर ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए मैंने पैदल ही चलने का निश्चय किया।
शाम के सात बज चुके थे और अंधेरा हो चला था। उसके बताए पते पर पहुंचने से पहले मुझे एक गली में जाना था, जहां कुछ कुत्ते मुझे देखते ही भोंकने लगे। मेरे थैले में पाव रोटी का पैकेट था, जिसे मैंने खोल कर उन कुत्तों की ओर फेंक दिया। कुत्ते भौंकना छोड़कर उसे खाने में जुट गए। मैं भी निश्चिंत होकर गली में चला गया।
गली खत्म होते ही एक चोर अचानक दौड़ा आया और मेरा थैला छीनकर भागने लगा। मैं अवाक रह गया और चोर चोर चिल्लाकर उसके पीछे भागा। तभी मैंने देखा कि दो कुत्ते उस चोर की ओर झपटे और उसका उसका पैर दबोच लिया। चोर गिर पड़ा और उसके हाथ से थैला नीचे गिर गया। मैं दौड़कर गया और अपना थैला ले लिया, जिसमें जरूरी कागजात थे। तब तक कोई लोग घरों से निकल आए थे और चोर पकड़ा गया। सभी उन कुत्तों को की तारीफ करने लगे। मैं भी मन ही मन उन्हें धन्यवाद दे रहा था। शास्त्रों में ठीक ही कहा गया है।