आध्यात्मिक कहानी: हमारे मोहल्ले में एक भिखारिन रोज सुबह-सुबह आती है और हर घर के दरवाजे पर जाकर आवाज लगाती है। उसे मोहल्ले के हर घर से कुछ ना कुछ मिल जाता है। एक बार की बात है, हमारे पड़ोस के एक घर में भीषण चोरी हो गई। रात से ही पुलिस अपनी छानबीन कर रही थी। हर दिन की भांति वह आई और भीख मांगने लगी। लेकिन पुलिस की गाड़ी और पुलिस वालों को देख कर ठिठक गई।
मैं भी अपने परिवार के साथ बाहर खड़ा था। उसने अचरज भरी नजरों से सारा माजरा देखा और मुझसे पूछा, “क्या बात है भैया जी, यहां कुछ हो गया है क्या ? “मैंने कहा, हां कल रात यहां चोरी हो गई है । अरे यह तो बहुत गलत हो गया, कल ही तो मालकिन ने मुझे ढेर सारा अनाज दिया था। मैंने काफी दुआ दी थी। पर यह क्या हो गया ? अपना दुख जताते हुए वह तुरंत वहां से चली गई। लेकिन अचानक 2 घंटे के बाद अपने बेटे के साथ वह हांफती हुई आई और मेरे घर का दरवाजा पीटने लगी। मैंने किसी अनहोनी की आशंका के साथ दरवाजा खोला, तो देखा वही भिखारिन खड़ी है। मैं कुछ पूछता, अचानक वह बोल पड़ी भैया जी, भैया जी, मैंने अपने घर के पास पांच-छह लड़के देखे हैं, उनके पास ढेर सारा सामान है। इससे पहले कभी नहीं दिखे। “मैंने चौक कर पूछा, कहां रहती हो तुम, वहीँ नाले के पास, झोपड़पट्टी में, उसने बताया। फिर वह बोल पड़ी, “जो लड़के आए हैं बहुत बदमाश दिखाई देते हैं।”
हम तुरंत आठ – दस लोगों के साथ उसकी बताई गयी जगह पर उसके साथ गए। वहां देखा तो उनका सामान एक कमरे में रखा हुआ था। थोड़ी सी मशक्कत से उन सब को पकड़ लिया गया। पुलिस भी आ गई। चोरी गया सारा सामान मिल गया। सामान मिलने पर उसे एहसास हुआ कि किसी को की गई मदद कभी बेकार नहीं जाती।