अंक ज्योतिष भारत की प्राचीन गूढ़ विद्या है, जिसमें अंकों के माध्यम से व्यक्ति के बारे में फलादेश किया जाता है । इसके माध्यम से किसी भी व्यक्ति के संपूर्ण जीवन का हाल सरलता पूर्वक बताया जा सकता है । इसके नियम इतने सरल है कि साधारण पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इसके आधार पर निज जीवन में लाभ अर्जित कर सकता है । अंक विद्या द्वारा व्यक्ति के अच्छे बुरे समय के बारे में भी भविष्यवाणी की जा सकती है । यहां तक कि उसके दांपत्य जीवन एवं अन्य जरूरी बातों की भी जानकारी सरलता से दी जा सकती है ।
अंकों की लीला बहुत ही विचित्र है । अंकों में ही छुपा हुआ है, मानव जीवन का अमूल्य रहस्य प्रत्येक व्यक्ति की जन्म और मरण की घड़ियां काल द्वारा नियत है और जन्म-मरण इन दोनों प्रमुख घटनाओं के बीच के वर्ष, दिन और घंटों से मिलकर ही हमारे जीवन का सिलसिला बनता है । हमारे जीवन के हर मोड़ की संख्या और स्थान और मिलने वाला व्यक्ति सुनिश्चित है । कभी-कभी व्यवहार में यह देखने को मिलता है कि कोई संख्या विशेष या अंक किसी व्यक्ति या राष्ट्र के जीवन में इतना संबद्ध रहता है कि उसे मात्र संयोग कह कर नहीं टाला जा सकता ।
बात करें विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली देश अमेरिका की, तो इस देश के लिए 13 का अंक महत्वपूर्ण है, ईगल के ऊपर 13 सितारे हैं, और झंडे में भी 13 ही पत्तियां है । अमेरिका जब स्वतंत्र हुआ, तो वहां 13 ही राज्य थे और स्वतंत्रता के घोषणा पत्र पर भी 13 ही व्यक्तियों के हस्ताक्षर भी थे । इसके विपरीत यहूदी लोग 13 के अंक को अशुभ मानते हैं क्योंकि वे कहते हैं कि ईशा के बलिदान से पूर्व एक भोज हुआ था, जिसमें 13 व्यक्ति थे । वे 13 अंक को अशुभ मानकर हमेशा उसके प्रयोग से भी बचते हैं ।
अक्सर देखा भी गया है कि होटलों एवं धर्मशालाओं में 13 नंबर का कमरा नहीं होता, कमरा नंबर 13 के स्थान पर 12 ए लिखा रहता है । यह भी कहा जाता है कि अंक ज्योतिष सृष्टि की उत्पत्ति के साथ ही जुड़ा है । जिस प्रकार भारतीय ज्योतिष में भी नौ ग्रहों की प्रधानता है, उसी प्रकार अंक ज्योतिष में भी 9 अंकों का ही बोलबाला है ।
1 से लेकर 9 के अतिरिक्त जितने भी अंक हैं वे केवल इन आरंभिक अंकों की पुनरावृत्ति मात्र ही है । अंक विद्या के अनुसार मनुष्य जिन तारीखों में जन्म लेता है, उसके अनुसार ही उसका भाग्य व स्वभाव का निर्माण होता है । प्रत्येक व्यक्ति का भाग्य 1 से लेकर 9 तक के अंकों के बीच समाया हुआ है और प्रत्येक अंक में गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है । प्रत्येक अंक किसी एक ग्रह के नियंत्रण में होता है । जैसे अंक 1 का स्वामी सूर्य है, अंक 2 चंद्रमा का प्रतीक है, अंक 3 बृहस्पति का घोतक है, इसी प्रकार अंक 4 हर्षल का, अंक 5 बुध का, अंक 6 शुक्र का, अंक 7 वरुण का, अंक 8 को शनि तथा अंक 9 को मंगल ग्रह का प्रतीक माना जाता है । मानव का संपूर्ण जीवन इन्हीं अंकों एवं ग्रह नक्षत्रों द्वारा प्रभावित एवं संचालित होता है ।