वह रोज भीख मांग कर अपना गुजारा चलाता था । एक दिन उसे शहर में एक बुद्धिमान अमीर का पता चला, जिसे अपने धन पर घमंड भी था । वह उसके दर पर पहुंच गया । वह अमीर से बोला, ‘मैंने आपकी बुद्धि और दया के किस्से सुने हैं । इसी आशा से आपके पास आया हूं ।’
अमीर बोला, ‘बाबा मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?, भिखारी बोला, ‘ऐ मालिक आप इस पूरी धरती में जिसे सबसे ज्यादा अनमोल समझते हैं, उसे मेरे कटोरे में डाल दीजिए ।’ अमीर सोचने लगा, ऐसी कौन सी चीज है, जो मेरे लिए अनमोल है । उसने सोचा बाबा को पैसे की जरूरत है, इसलिए ऐसा बोल रहे हैं । इसलिए उसने उनका कटोरा नोटों से भर दिया ।
भिखारी हंस पड़ा, ‘तेरी बुद्धिमानी के जितनी किस्से सुने थे, सब झूठ थे । तू तो सबसे बड़ा मूर्ख है । ‘अमीर चिंतित हो गया, वह हाथ जोड़कर बाबा से बोला, ‘बाबा, आप मुझे बताएं कि सबसे अनमोल चीज क्या है?’ अब बूढ़ा भिखारी हंसते हुए बोला, ‘अरे अमीर हम सब के लिए धरती मां की मिट्टी बड़ी अनमोल है । जिसका कोई मोल नहीं है । जिस पर बड़े-बड़े साधु संत और देशभक्तों ने जन्म लिया है । बिना इसके जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती है ।
मैं भीक इसलिए मांगता हूं क्योंकि मेरे अंदर कोई लालच नहीं है । बल्की तेरे अंदर का अहंकार खत्म करना चाहता था ।’अमीर ने बाबा के पांव पकड़ लिए और बोला, ‘बाबा, आज मुझे आपने सही सीख दी है । अब मैं भी देश की मिट्टी के लिए काम करूंगा ।