ईश्वर को याद रखने के लिए माला की जरूरत

ईश्वर को याद रखने के लिए माला की जरूरत

ईश्वर और उसकी सर्वव्यापी महिमा को याद रखने के लिए माला की जरूरत

तुम्हें सदैव अपने गले में या जेब में माला रखनी चाहिए तथा रात को सिरहाने के नीचे उसको रख लेना चाहिए । जब तुम माया अथवा अविद्या के कारण ईश्वर का विस्मरण कर दोगे तो माला उसका तुम्हें पुन: स्मरण कराएगी । रात की जब तुम लघुशंका के लिए उठते हो, तव माला तुन्हें याद दिलगी कि तुम उसको एक दो बार फेर लो । मन कौ वश में करने के लिए माला एक उत्तम उपकरण है । मन को ईश्वर में तल्लीन करने के लिए वह रास का काम करती है । १०८ मनकों की रुद्राक्ष माला अथवा तुलसी माला जप में प्रयुक्त की जा सकती है ।

जो किसी वकील की देखने पर कचहरी, मुकदमे, गवाही और मुवक्किलो की तुरंत याद आ जाती है, ओर डाक्टर को देखने पर अस्पताल, रोगियों, औषधिओ रोगो अदि की याद आ जाती है, वैसे ही माला देखने से तुमको ईश्वर ओर उसकी सर्वब्यापी महिमा की याद आ जाएगी । इसलिए सदैव अपने गले में माला पहने रहो और उससे जप करो । ओ “शिक्षित नवयुवको, माला पहिंनने में संकोच न करो । यह माला
तुम्हे सदैव ईश्वर की याद दिलाएगी और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग सरल बनाती रहेगी । यह माला एक सोने के हार से, जो नौ प्रकार के अमूल्य
रत्न से जड़ा हुआ है, कहीं अदृछा है, क्युकी यह तुम्हारे में सातविक विचार भर देती है । और तुम्हरा ईश्वर से साक्षात्कार करा कर इस जन्म-मरण के बंधन से तुम्हें सदैव के जिए मोक्ष प्राप्त कराती है ।

जपमाला के प्रयोग की विधि

साधरणत: जप माला में 108 मनके होते हैं । इन १०८ मनको के मध्य में एक वडा दाना होता है, जिसे मेरू कहते । यही दाना तुम्हे बताता है कि तुमने किसी मंत्र का १०८ बार जप कर लिया । जप करते समय तुम्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तुम मेरू को न पार करो वरन् पुन: पीछे ही लोट जाओं और फिर माला जपना आरम्भ कर दो । इस प्रकार अपनी अंगुलिओं को पीछे की ओर लौटना चाहिए । जव माला से जप करते जा रहे हो तो तर्जर्ना का प्रयोग निषिद्ध समझना चाहिए । अंगूठा ओर मध्यमा का ही प्रयोग किया जाना चाहिए ।

जप-गणना

यदि तुम्हरे पास माला नहीं है तो जप को गिनने के लिए अपने दाहिने हाथ की अंगुलिओं का प्रयोग कर लो । प्रत्येक अंगुली के तीन बिभाग होते हैं, तुम इन विभागों की जप के साथ-साथ, अंगूठे से आरम्भ कर गिन सकते हो । जब तुमने जप की एक माला समाप्त कर ली है तो बाए हाथ के अंगूठे को बाए हाथ को अंगुली के प्रथम विभाग पर रख लो । ओर दूसरी माला समाप्त होने पर दूसरे विभाग पर । इस प्रकार दाहिने हाथ से तो तुम जप करते जाओगे और बाए’ हाथ में माला को गिनते रहोगे । इसके बदले में पत्थर के टुकडों का प्रयोग भी किया जा सकता है । यदि इस प्रकार जप करने से एकाग्रता और अविछिन्नता में बाधा पड़ती हुई जान पड़े तो एक दिन यह अन्दाज लगा लो कि २ घंटे जप करने से कितनी मालाए समाप्त हों सकती हैं । तदनन्तर समय के अनुसार अपनी प्रगति का अनुमान लगा सकते हो । किन्तु पुरश्चरण करने वाले को केवल समय पर ही भरोसा नही रखना चाहिए ।

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