सूर्य पूजा करने से साधक न सिर्फ तेजस्वी होता है । बल्कि अनेक व्याधियों से मुक्त भी हो जाता है ।
सूर्य भगवान की आराधना के कई फायदे हैं । हिन्दू धर्म के शक्तिशाली देवताओं में इन्हें शामिल किया जाता है, साथ ही योग क्रियाओं में भी उनका महत्व है । सूर्य पूजा काफी प्रभावशाली है । इन देव की नियमित पूजा-अर्चना करने से साधक को यश मिलने के साथ-साथ उसका तेज भी बढ़ता है । जो लोग अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी दृष्टि, सफलता और उत्साह की कामना करते हैं और अस्थमा, दुर्बलता जैसी तकलीफों से मुक्ति पाना चाहते हैं, उनके लिए सूर्य पूजा का महत्व बढ़ जाता है । शास्त्रों में भी लिखा गया है कि सच्ची श्रद्धा से भगवान सूर्य की आराधना की जाए, तो साधक को मस्तिष्क एवं त्वचा संबंधी हर तरह की व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है । रविवार सूर्य का दिन माना जाता है और लाल रंग के माणिक्य को इनका रत्न । श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार सूर्य सौरमंडल में स्वर्ग और नर्क के बिलकुल केंद्र में स्थित है । यानी कोई भी व्यक्ति इनकी पूजा व साधना करके अपनी दिशा तय कर सकता है इसलिए सुखद जीवन के लिए सूर्य पूजा का महत्व बढ़ जाता है ।
यदि कुंडली में सूर्य प्रतिकूल स्थान पर हो तो उस व्यक्ति को सूर्य पूजा पूरे विधि-विधान से करना अनिवार्य हो जाता है । ज्योतिषीय दृष्टिकोण से बात की जाए, तो सूर्य भगवान मेष से लेकर मीन राशि तक हर राशि में एक-एक महीने तक रहते हैं, जिसका प्रभाव उससे संबंधित व्यक्ति पर पड़ता है । पर यदि कुंडली में दसवें घर में सूर्य विराजमान हैं तो उसकी किस्मत खुल जाती है ।
पूजा विधि:-
सूर्य पूजा करने की विधि बड़ी सरल है । सबसे पहले रविवार के दिन साधक लाल रंग के साफ कपड़े पहनकर सारी पूजन सामग्री के साथ पूर्व की दिशा में मुख करके बैठ जाए । पूजन सामग्री में अन्य उपयोगी सामग्रियों के साथ कमल का फूल होना अनिवार्य है ।
फिर इस मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ॐ का जप करें । इस दिन साधक को उपवास रखना चाहिए और सूर्यास्त के बाद नमक रहित भोजन करना चाहिए । इस दिन यदि साधक तेल का प्रयोग ना करें, तो इस से भी सूर्य देवता की उस पर कृपा होती है । अगर आप सूर्योदय के समय यह साधना करें, तो लाभप्रद होगा । पर यदि ऐसा नहीं कर पाएं, तो आप माणिक्य रत्न पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं क्योंकि वह सूर्य का ही प्रतीक माना जाता है । पूजा करने के बाद आप सूर्य देवता को जल, चावल और सिंदूर अर्पित करें ।
ध्यान करने का मंत्र:-
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं ।
तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं ॥
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