जानिये कैसे भगवान शिव का संपूर्ण स्वरूप है प्रेरणादायक

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शिव का रूप ज्ञानस्वरूप

शायद ही कोई होगा, जो महादेव की भक्ति से दूर होगा । भगवान शिव शक्ति और संयम का अद्भुत मेल है । इनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति आती है और भक्त का स्वरूप भी सौम्य होता है ।

हिंदू धर्म में जितने भी देवताओं का वर्णन किया गया है, सब के खास गुण हैं । हर भगवान के पास अलग वाहन और अलग शस्त्र हैं । हनुमानजी बलशाली हैं और उनका शस्त्र गदा है । जबकि मां दुर्गा शक्ति स्वरूपा है । इसी प्रकार गणेश, विष्णु तथा सभी देवी-देवताओं के बारे में अलग-अलग तरीके से व्याख्या की गई है । ऐसे में देवाधिदेव महादेव का स्वरूप सबसे अलग और सरल है । यह सौम्यता की मूर्ति के रूप में भक्तो को मिलते हैं और साथ ही अन्य देवता गण उनके सामने शीश भी झुकाते हैं । सृष्टि में वर्णित तीन देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में उनका स्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है । इन्होंने ही सागर मंथन के दौरान निकले विष को पीकर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी । आज भले ही कलयुग आ गया हो, पर इनका महत्व वैसा ही बना हुआ है, जैसा पहले था । सोमवार को इनकी आराधना का दिन माना गया है । हिंदू शास्त्रों के मुताबिक आज के दिन यदि देवाधिदेव महादेव की आराधना की जय, तो भक्तों को सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में सुख के पल आते हैं । बात करें भगवान शंकर के रूप की, तो भक्तों को इनसे खूब प्रेरणा मिलती है ।

शिव महिमा

इनके मस्तक पर गूथे हुए केशो में गंगा का निवास है, जो देश की पवित्र पूजनीय नदी है । गंगा हमें शिक्षा देती है कि अपने अंदर के गुणों को एक जगह से दूसरी जगह तक प्रवाहित करते रहने से आने वाली पीढ़ियां भी हमारी तरह गुणी और बौद्धिक रूप से कुशल हो सकती हैं

इसी तरह इनके सिर पर मौजूद अर्धचंद्र बताता है कि भगवान शंकर काल के स्वामी हैं और स्वयं काल से परे हैं । जबकि इनके मस्तक पर बनी तीसरी आंख पापियों के सर्वनाश का घोतक है । यह आंख ज्ञान का भी प्रतीक है, जो मनुष्य को स्वयं से परिचित कराती है ।

भगवान शिव का अस्त्र त्रिशूल है, जिसमें एक डमरु भी बंधा होता है । त्रिशूल की तीन नोंक दर्शन तीन शक्तियों का ज्ञान, इच्छाशक्ति और उनके पालन करने का प्रतिनिधित्व करती है । जबकि डमरू की आवाज वेदों का स्वर है तथा पवित्र बातों का उद्घोष करती है, जिससे हमें सही दिशा में जाने का ज्ञान मिलता है ।

यह गले में एक सर्प भी धारण करते हैं, जिसका तात्पर्य है कि यदि किसी ने ईर्ष्या पर एक बार आधिपत्य कर लिया तो, यह उसके लिए गहने की तरह हो जाता है ।

पद्मासन की अवस्था में बैठे भगवान शंकर के हाथों में रुद्राक्ष की माला भी है । वैसे तो यह माना आज भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखती है, पर यहां यह पवित्रता की घोतक है । यह माला भगवान के दाहिने हाथ में होने का तात्पर्य है एकाग्रता, जिसके बल पर जीवन में हर उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है ।

भगवान शिव की वेशभूषा भी दूसरे देवताओं की तरह कीमती या आकर्षक नहीं है । बल्कि बाघ की त्वचा पर विराजमान है, जो हमें निडर होने का संदेश देता है ।

कुल मिलाकर भगवान शिव का संपूर्ण स्वरूप प्रेरणादायक है और इन संदेशों को अपनाकर हम भी अपने जीवन को इन्हीं की तरह सौम्य और आकर्षक बना सकते हैं ।

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