वास्तु शास्त्र में आठों दिशाओं में ईशान कोण का विशेष महत्व है। प्राचीन वास्तु शास्त्रीयो ने ईशान दिशा वाले भूखंड की तुलना कुबेर के नगर अलकापुरी से की है क्योंकि यह दिशा सुख, शांति, वैभव, यश, कीर्ति मान सम्मान, बुद्धिमान संतति तथा समस्त शुभ फलों को प्रदान करने वाली मानी जाती है।
आइए जानते हैं, ईशान कोण के कुछ प्रभाव –
1) यदि ईशान कोण आगे की ओर बढ़ रहा हो, तो परिवार में सुख शांति, धन संपदा बराबर बनी रहती है।
2) ईशान में जल स्थान, देवस्थान और अध्ययन स्थान के अतिरिक्त कुछ नहीं रखना चाहिए।
3) यदि आपको घर में बरकत लानी है, तो इस स्थान में अपने इष्ट देव का पूजा स्थल बनाकर वहां गंगा जल से भरा पात्र, शंख आदि रखें तथा शंख के जल को अपने घर में छिड़कें। शीघ्र लाभ होगा।
4) ईशान कोण से होकर यदि वर्षा का जल बहता है, तो गृहस्वामी की वंशवृद्धि के साथ-साथ प्राप्ति भी होती है।
5) यदि ईशान कोण में आपने बाथरूम बना दिया है, तो उससे नुकसान हो सकता है। इसलिए वहां फूलदान रखें। या आप वहां तुलसी, अश्वगंधा या मरूवाक का पौधा लगा सकते है।
6) ईशान में ना तो कभी हवन करना चाहिए और ना ही वाहन खड़ा करना चाहिए। यदि आप इस नियम का पालन करते हैं, तो आपको सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
7) यदि ईशान में पूजा घर है, तो वहां केवल पूजा के समय दीपक जलना चाहिए। यदि वहां नियमित रूप से दीपक जलाया जाए तो सिर दर्द का कारण बन जाता है।
8) ईशान में रसोई घर भी नहीं होना चाहिए, वरना दांपत्य जीवन कटुता पूर्ण हो जाता है।
9) यदि किसी कारण वश ईशान कोण असंतुलित हो जाता है, तो परिवार के सदस्यों में वैचारिक मतभेद हो सकते है। साथ ही घर की महिलाएं भी तनावग्रस्त हो जाती हैं।