ज्योतिष शास्त्र में रत्नों व पत्थरों को काफी महत्व दिया गया है । ऐसा विश्वास है कि यदि किसी जातक पर ग्रहों का दुष्प्रभाव चल रहा हो, तो ज्योति शास्त्रियों के बताए रत्नों या पत्थरों को धारण करने से उन्हें सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है । पर उन्हें धारण करने से पहले कुंडली दिखा लेनी चाहिए ।
माणिक्य रत्न
यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर हो और उससे हानि हो रही हो, तो सूर्य रत्न माणिक्य या पन्ना धारण करना चाहिए । यदि सूर्य आठवें भाव में हो, तो माणिक्य विशेष लाभदाई होता है ।
मोती रत्न
इसी तरह यदि कुंडली में चंद्रमा सूर्य के साथ हो या सूर्य की अगली 5 राशियों तक हो, तो यह कमजोर हो जाता है । इसलिए मोती धारण करना लाभप्रद हो सकता है । मोती जलीय रत्न है और इसे महिलाओं के लिए उपयोगी माना गया है ।
मूंगा रत्न
यदि जन्म कुंडली में मंगल लग्न में स्थित हो या राहु या शनि के साथ कही स्थित हो, तो मूंगा धारण करने से लाभ होगा ।
पन्ना बचाता है शत्रु ग्रहों से
किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह को बल देना हो, तो बुध रत्न पन्ना धारण करना श्रेयस्कर होता है । जन्म कुंडली में बुध, मंगल, राहु, शनि या केतु के साथ स्थित हों तो ऐसे व्यक्ति को पन्ना धारण करना चाहिए । पन्ना शत्रु ग्रहों से भी रक्षा करता है ।
पुखराज रत्न से ऐश्वर्य मिलता है
यदि जातक पुखराज रत्न धारण करते हैं, तो उन्हें लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और ऐश्वर्य मिलता है ।
हीरा रत्न
वृष लग्न तथा तुला लग्न का स्वामी शुक्र है । इसलिए इस लग्न वाले को हीरा धारण करने से लाभ होता है ।
नीलम रत्न
यदि कुंडली के अनुसार शनि की साढ़ेसाती चल रही हो, तो नीलम रत्न धारण करने से लाभ होता है । वैसे यदि मकर और कुंभ राशियों में से एक शुभ या दूसरी अशुभ हो, तो नीलम धारण नहीं करना चाहिए ।
गोमेद रत्न
राहु राजनीति का कारक है। जो लोग राजनीति में है या जाना चाहते हैं उनके लिए गोमेद शुभ फल देगा।
लहसुनिया रत्न
इसी तरह केतु छाया ग्रह हैं और यदि यह निर्बल हो तो लहसुनिया धारण करना चाहिए। लहसुनिया सरकारी दंड, आकस्मिक दुर्घटना तथा गुप्त शत्रुओं से रक्षा करता है।