माला सही जहां मिलेगी सिद्धि वहाँ
मंत्रोच्चारण की गणना के लिए सभी धर्मों में मालाओं का उपयोग होता है । पर, मर्म यह है कि सिद्धि तभी प्राप्त होगी, जब आराधना के लिए सही माला का इस्तेमाल किया जाए
अमूमन सभी धर्मों में जप के लिए माला का प्रयोग होता है, क्योंकि किसी भी जप में संख्या का बहुत महत्व होता है । माला का उपयोग मंत्रोच्चारण की गणना के लिए किया जाता है ।
माला के प्रकार
मालाएं मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती हैं:- कर माला, वर्ण माला और मणि माला ।
कर माला:- अंगुलियों को परस्पर सटाये हुए हथेली की ओर कुछ झुका कर उनके पोरो पर एक निश्चित क्रम से जप करने की क्रिया को कर माला पर आधारित जप कहा जाता है । इसमें पर्व-क्रम पर विशेष ध्यान दिया जाता है । दीर्घ साधना के लिए करमाला उपयुक्त नहीं है ।
वर्ण माला:- संतकुमार तंत्र, विशुद्धेश्वर तंत्र और वैशम्पायन संहिता आदि ग्रंथों में वर्ण माला की उपयोग विधि पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है । ‘अ’ से ‘क्ष’ तक के वर्ण समूह को वर्णमाला कहते हैं। स्वर-व्यंजनों के इस समूह में 51 वर्ण होते हैं । ‘क्ष’ को सुमेरु मानकर शेष 50 वर्णो पर क्रमिक रुप से मंत्र-गणना करते हुए, वर्णमाला की उपयोग विधि बताई गई है । यह विधि काफी जटिल है, इस वजह से यह लोकप्रिय नहीं है ।
मणि माला:- मालाओं में सर्वाधिक प्रचलित मणि माला ही है । इसका प्रचलन सभी वर्ग के लोगों में है । मणियों को एक सूत्र पिरोकर तैयार किए जाने के कारण इस माला को मणिमाला कहा जाता है ।
माला और सिद्धियां:- तुलसी, रुद्राक्ष, कमलगट्टा, मोती, स्फटिक, चांदी, सोना शंख, पुत्र-जीवा राजमणि, वैजयंती अथवा रुद्राक्ष के दानों से बनाई गई मालाएं मंत्र जाप में प्रयोग भेद से विभिन्न प्रकार की सिद्धियां देती है ।
► विष्णु, राम और कृष्ण की साधना के लिए तुलसी माला का प्रयोग ।
► शत्रु नाश के लिए कमलगट्टे की माला का प्रयोग ।
► संतान लाभ हेतु पुत्र जीवा माला का प्रयोग ।
► इच्छित फल की प्राप्ति के लिए चांदी की माला का प्रयोग ।
► धन प्राप्त करने के लिए मूंगा की माला का प्रयोग ।
► पाप नाश के लिए कुश की जड़ से बनी हुई माला का प्रयोग ।
► भैरवी विद्या की सिद्धि के लिए मूंगा, सोना, शंख, मणि अथवा स्फटिक की माला का प्रयोग । इस प्रयोग में रुद्राक्ष, पद्मबीज और पुत्रजीव की माला का प्रयोग वर्जित है ।
► देवी साधना के लिए लाल चंदन की माला का प्रयोग ।
► गणेश जी की पूजा में हाथी दांत की माला का प्रयोग ।