मोटिवेशनल कहानी: बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा की तैयारी चल रही थी। कॉलेज में आधा से अधिक सिलेबस समाप्त हो चुका था । मगर मेरी पढ़ाई अभी भी अधूरी थी। पढ़ाई मुझे कठिन लग रही थी। चाहकर भी किसी विषय को पूरा नहीं कर पाया था। हमारे बॉटनी वाले त्रिपाठी सर बहुत अच्छा पढ़ाते थे और बीच-बीच में हंसाते भी रहते थे, ताकि बच्चे बोर न हों।
एक दिन त्रिपाठी सर क्लास में आए और पढ़ाते पढ़ाते अचानक पूछ बैठे, आप लोगों में से कितने लोग नियमित अखबार पढ़ते हैं। सभी लोगों ने अपने – अपने हाथ ऊपर उठाएं, लेकिन मैं अकेला सिर नीचे किए हुए बैठा था। सर ने पूछा, ‘क्या तुम अखबार नहीं पढ़ते हो’ मैंने बोला नहीं सर मैं अखबार नहीं पड़ता। सर बोले पेपर पढ़ा करो वरना फेल हो जाओगे। इस पर सभी लोग हंस पड़े। यह बात मुझे बहुत अच्छी नहीं लगी। उस दिन खुद को काफी अपमानित महसूस कर रहा था। काफी देर तक मैं मायूस भी रहा।
लेकिन उस घटना ने मुझे प्रेरणा दी और उस दिन के बाद में नियमित रूप से अखबार पढ़ने लगा। पढ़ाई में भी मन लगाने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि मैंने बहुत ही कम समय में अपना कोर्स समाप्त कर लिया। परीक्षा में अच्छे परिणाम भी आए। आज भी क्लास के छात्र मुझे देखते हैं, तो कहते हैं, ‘पेपर पढ़ो, वरना फेल हो जाओगे’। अब यह बातें मुझे नहीं चिढ़ाती। क्योंकि इसी वाक्य ने मेरी जिंदगी को बदला है। पढ़ाई से जी चुराने वाला बंदा आज पढ़ने लगा है।