Three Important Points for Students
1 – जीवन चमत्कार का दूसरा नाम है
विफलता से क्यों घबराना, आज कि युवा पीढ़ी को यह समझने कि जरूरत है कि हम जिन महान वैज्ञानिको के बारे में पढ़ते आ रहे है, हमें उनके जीवन से सिर्फ फिजिक्स और केमिस्ट्री के फार्मूले नहीं सीखने, बल्कि यह भी जानना है कि हर फिजिक्स के पीछे एक मेटाफिजिक्स काम कर रही है और मेटाफिजिक्स का नाम है जीवन । जीवन चमत्कारों का दूसरा नाम है । हमने कोई लक्ष्य तय किया और हम उसमे विफल हो गए तो क्या हुआ। जीवन यहाँ समाप्त नहीं होता । जीवन में प्रश्न बने ही इसलिए है कि उनके उत्तर कही ना कही छिपे हुए है । हमें ये समझना होगा कि ये लुका छिपी के खेल जितना ही आसान है । सफलता किसी निर्धारित लक्ष्य तक पहुंच जाना नहीं है । लगातार चलते रहने को सफल कहा जायेगा ।
2 – अभिभावकों से अपना मन साझा करे
हम इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में रह रहे है पर दुःख कि बात तो यह है कि हमारे पास टेक्नोलॉजी तो है पर हमें इनफार्मेशन नहीं है कि हमारे आस पास गहरे में क्या घट रहा है । आज के बच्चे हाईटेक हो रहे है । यह उपयोगी भी है पर कही ना कही ये उन्हें परिवारों से दूर करने का कारण भी बन रहा है । बच्चो को यह समझने की जरुरत है कि भले उनके अभिभावको की समझ और सोच में एक युग का अंतर हो पर उनकी संरचना एक ही मिट्टी से हुई है । मिट्टी, जिसका नाम है संवेदना। कोई भी माँ पिता अपने बच्चे के प्रति असंवेदनशील नहीं हो सकते । हाँ ये जरूर है की वे सामाजिक दबाव और सोच से ग्रसित है पर अगर बच्चे बात करने का हर संभव प्रयास करे तो अभिभावक अपने बच्चो की बात को समझेंगे ।
3 – जीवन प्रतिस्पर्धा नहीं, उल्लास का प्रयोजन है
कोई भी छात्र आत्महत्या की स्थिति तक क्यों पहुँचता है ? बचपन से हमें सिखाया गया है कि दौड़ो। बचपन से हमें चलने ओर चलते रहने के स्वाद ओर सुख के बारे में किसी ने नहीं बताया । स्कूल के बाद प्रतियोगताओं और कम्पटीशन में अव्वल आने कि दौड़ ओर फिर ऐसे ही जीवन के हर मुकाम पर दौड़ते रहने कि होड़ । यहाँ दौड़ने पर अंकुश लगाने का यह आशय कतई नहीं है कि मनुष्य को महत्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए पर महत्वाकांक्षाओं को ऐसे पंख ना दे दो जो तुम्हारे आन्नद को एक पिंजरे में कैद कर दे, जो तुम्हारी सहजता को, सजगता को शून्य कर दे और तुम एक उपकरण में तब्दील हो जाओ । जीवन रूपी नाव, बच्चो और माँ पिता को संदेश देती है कि जीवन कोई प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि उल्लास का प्रयोजन है ।