एक बार एक लड़का मंदिर के पास बैठा रो रहा था, तभी एक सेठ अपने परिवार सहित उस मंदिर में पूजा करने आए । छोटे बच्चे को रोता देख उन्होंने उससे पूछा, ‘बेटा तुम क्यों रो रहे हो ।’ लड़के ने कहा मैं अनाथ हूं । मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है ?’ बच्चे को रोता देख सेठ को दया आ गई और वे उसे अपने घर लेकर चले गए ।
सेठ दंपत्ति उस अनाथ बच्चे को अपने बेटे की तरह परवरिश देने लगे । जब वह थोड़ा बड़ा हुआ तो सेठ ने अपनी पत्नी से कहा, ‘अब शोभित बड़ा हो गया है । क्यों ना इसे पढ़ने के लिए कहीं बाहर भेज दिया जाए ।’ पत्नी ने कहा, ‘ठीक है । पढ़ लिखकर शोभित कुछ बन जाएगा, तो हमारा ही नाम रोशन होगा ।’ सेठ ने उसे पढ़ने के लिए बाहर भेज दिया ।
ऊंची शिक्षा पाकर शोभित अफसर बन गया । एक दिन सेठ ने सोचा कि क्यों ना अपनी बेटी की शादी शोभित के साथ कर दें । जिससे बेटी अपने घर में भी रह जाएगी और खुश भी रहेगी । सेठ ने शोभित से पूछा, ‘क्या तुम रंजना से शादी करोगे?’ वह तुरंत तैयार हो गया । शादी की तैयारियां होने लगी ।
शोभित के मन में अचानक लालच आया और वह सोचने लगा कि अब तो मैं बड़ा अफसर बन गया हूं । सेठ जी मुझे दहेज में कुछ भी नहीं दे रहे हैं । यह सोचकर वह शादी के मंडप से उठ गया और सेठ जी से बोला, ‘बाबूजी मैं यह शादी नहीं कर सकता ।’ सेठ जी ने पूछा, ‘क्यों बेटा?’ शोभित बोला, बाबूजी आप अपनी लड़की के सिवाय मुझे क्या दे रहे हैं? आपको सोचना चाहिए कि अब मैं बहुत बड़ा अफसर बन गया हूं ।’ सेठ जी बोले, ‘बेटा ! मेरी एक ही लड़की है । जो कुछ मेरा है, तुम्हारा ही तो है ।’ सेठ की बात सुनकर शोभित शादी के लिए राजी हो गया और मंडप की ओर चला ।
लेकिन सेठ की लड़की ने शादी करने से मना कर दिया । सेठ ने कहा, ‘बेटी तुम शादी क्यों नहीं करना चाहती हो ।’ लड़की ने कहा, ‘पापा आज यह जो कुछ भी है, आपकी वजह से है । इसके पास कमी ही क्या है? फिर भी यह दहेज मांग रहा है । मैं ऐसे लालची इंसान से शादी नहीं कर सकती ।’ रंजना की बात सुनकर शोभित का सिर शर्म से झुक गया ।