नैतिक कहानी । राजू ने समझी माँ के त्याग की कीमत

Moral Story in hindi

A Moral Story in hindi

 

एक शहर में राजू का सबसे खास दोस्त विनोद था । विनोद थोड़ा अमीर था और उसे जेब खर्च के रूप में काफी पैसे मिलते थे । राजू की माँ एक फैक्ट्री में काम करती थी और उसी की कमाई से उनका घर चलता था । ऐसे में राजू को सीमित जेब खर्च ही मिल पता था ।

वह अक्सर अपनी माँ से शिकायत करता , ‘माँ मुझे भी दूसरे बच्चो की तरह खिलोने चाहिए । आप मुझे पैसे क्यों नहीं देती ?’ राजू की माँ उसे हमेशा दिलासा देती, ‘ बेटा ! मै तुम्हे अगली बार खूब पैसे दूंगी ।’ लेकिन ऐसा दिन कभी नहीं आता, जब राजू को पर्याप्त पैसे मिलते ।
ऐसे में वह अपनी माँ से नाराज रहने लगा एक दिन खेल के मैदान में वह उदास बैठा था । उसके दोस्त विनोद के पूछने पर उसने उसे सारी बात बता दी ।

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विनोद ने कहा, ‘एक काम करो । यदि तुम्हे पैसे चाहिए, तो एक दिन क लिए मेरे पापा की फैक्ट्री में चलो । वहाँ एक कर्मचारी छुट्टी पर है । तुम दिन भर वहाँ काम करना और बदले में तुम्हें दस रूपए मिलेंगे ।’

विनोद की बात सुनकर राजू खुश हो गया। अगले दिन स्कूल की छुट्टी थी । इसलिए वह विनोद के साथ उसके पापा की फैक्ट्री में चला गया । उसे कपड़े सिलने का काम दिया गया ।

उसने खुशी खुशी काम शुरू किया लेकिन थोड़ी ही देर में वह थक गया । लेकिन विनोद से किये वादे की वजह से वह काम करता रहा । लंच ब्रेक तक उसका बुरा हाल हो चुका था । फिर भी उसने शाम तक काम किया । शाम को विनोद और उसके पापा ने उसे दस रूपए दिए । राजू ने कहा, ‘पैसा कमाना बहुत ही मुश्किल काम है ।’ तभी विनोद बोला, ‘जानते हो कौन सा कर्मचारी छुट्टी पर है ? वह कर्मचारी तुम्हारी माँ है । वे इतनी मेहनत से तुम्हारा घर चलाती है फिर भी तुम उनसे नाराज रहते हो ।’

यह सुनते ही राजू की आँखे आंसुओ से भर गई । अब वह पैसो की कीमत और माँ के त्याग को जान चुका था । अगले दिन मदर्स-डे था । वह अपनी कमाई के दस रूपए लेकर बाजार गया और माँ के लिए सुन्दर साड़ी लाया । राजू की माँ ने उपहार लेकर राजू को प्यार से गले लगा लिया ।

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