पढ़ाई में एकाग्रता के लिए सरस्वती मंत्र व आराधना
मां सरस्वती को प्रसन्न करने और कृपा पाने का दिन है सरस्वती जयंती (बसंत पंचमी) । यह दिन उनकी सम्पूर्ण आराधना करने का होता है।
विशेषकर उन लोगों के लिए यह दिन लाभकारी होता है, जिन्हें वीणापाणि की विशेष कृपा चाहिए। यदि मंत्रों के साथ-साथ सरस्वती यंत्र की पूरे विधि विधान से पूजा की जाए, तो निश्चित रूप से भक्तों की कुशाग्रता बढ़ेगी और अध्ययन के प्रति उसकी एकाग्रता में बढ़ोतरी होगी। जिन लोगों की स्मरण शक्ति कमजोर हो या विद्यार्थियों का मन अध्ययन में कम लगता हो अथवा पढ़ाई में उसका ध्यान कम लगता हो, तो सरस्वती यंत्र की पूजा लाभप्रद होगी।
मंत्र:-
ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः
मां सरस्वती साधना विधि:-
इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि के बाद पीले वस्त्र धारण कर कुश का आसन बिछाकर सरस्वती जी की प्रतिमा अथवा तस्वीर स्थापित करें तथा अष्टगंध से भोजपत्र पर चांदी अथवा तांबे की कलम से सरस्वती यंत्र बनाकर उसके नीचे मंत्र लिखें। यंत्र व मंत्र की हल्दी, चावल, दीप-धूप, पीले पुष्प और प्रसाद से पूजन करें। चावल को भी हल्दी या चंदन से रंग लें।
इस पूजन में विशेष बात यह है कि रोली के स्थान पर चंदन या हल्दी का प्रयोग करें और प्रसाद लें । यंत्र व मंत्र के पूजन के बाद 11 माला बताए गए मंत्र का जप करें। यह नियम लगातार 31 दिन तक करें। 31 दिन तक नित्य मां सरस्वती के समक्ष मंत्र जप से विद्या, बुद्धि और तर्क शक्ति, विचार शक्ति आदि में उन्नति व प्रगति होगी। वाणी में तेज आएगा । मां सरस्वती का आशीर्वाद और कृपा दृष्टि प्राप्त होगी। प्रतिदिन सात्विक भोजन ग्रहण करें। पूजा पूरी होने के बाद सरस्वती जी के फोटो यंत्र को अपने पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर स्थापित करें और नित्य पंच उपचार कर एक माला जप करें।