शनि देव की महिमा निराली

शनि देव की महिमा निराली

शनि देव की महिमा निराली

सभी ग्रहों में शनि का स्वरूप सबसे भयंकर है और इनका प्रभाव भी अधिक है। कई लोग इन्हें नकारात्मक दृष्टि से ही देखते हैं, लेकिन सच तो यह है कि केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि देवताओं को भी शनि के गुस्से का शिकार होना पड़ा है। जब रावण पर शनि का कोप आया, तो उसकी सोने की लंका ध्वस्त हो गई।

इसी तरह पुराणों में ऐसा कहा गया है कि शनि देवता की वजह से ही राज सिंहासन पर बैठने की जगह भगवान राम को 14 वर्ष के लिए वन में भटकना पड़ा। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि शनि के गुस्से की वजह से ही पार्वती के पुत्र श्री गणेश का मस्तक कट गया। इन्हीं के दुष्प्रभाव की वजह से श्री कृष्ण पर चोरी का कलंक लगा था। पांडवों का वनवास और कौरवों का नाश भी शनि की वजह से ही हुआ था और कई बार शनि को ही महाभारत युद्ध का कारण बताया जाता है।

एक बार तो देवताओं के आचार्य गुरु बृहस्पति को भी शनि देव के कारण ही मृत्युदंड पाने की नौबत आ गई थी। राजा विक्रमादित्य जब शनि की साढ़ेसाती आई, तो उन्हें तेली के घर पर कोल्हू तक चलाना पड़ा। इसी तरह सत्यवादी हरिश्चंद्र को भी शनि की साढ़ेसाती की वजह से ही दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। उनका परिवार से बिछड़ गया और श्मशान में नौकरी करनी पड़ी। ऐसे असंख्य उदाहरण हमारे पौराणिक ग्रंथों में मिल जाएंगे, जो शनिदेव के रूप को विस्तार से बताते हैं।

पर शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि अगर शनि का दुष्प्रभाव किसी को झेलना पड़ रहा है, तो भविष्य में उस व्यक्ति को शनि से काफी लाभ भी मिलेगा।

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