शिक्षाप्रद कहानी: मेरे पड़ोस में रहने वाले आदित्य को खुद पर बहुत घमंड था । वह अपने पिता का इकलौता पुत्र था इसलिए घर में उसे बड़ा दुलार मिलता था । वह किसी से विनम्रता से बात नहीं करता था । अपने से बड़ों के साथ थी वह बदतमीजी करता रहता था । जो उसकी बात नहीं मानता था, उसे मारता भी था ।
बाइक तो कभी भी 60 से कम नहीं चलती थी । जब वह गाड़ी लेकर सड़क पर आता था, तो लोगों की दिल की धड़कनें बढ़ जाती थी । सभी लोग पीठ पीछे उसकी बुराई करते रहते थे । एक दिन आदित्य बाइक से कहीं जा रहा था । रास्ते में उसने एक बुजुर्ग को टक्कर मार दी । बुजुर्ग ने उसकी धृष्टता के लिए उसे डांटा, तो आदित्य ने उन्हें बुरा-भला कहा और जाते-जाते दो थप्पड़ भी जड़ दिए । और इठलाते हुए बाइक से आगे बढ़ गया । बुजुर्ग को चोट भी आ गई थी । शाम को आदित्य घूमता हुआ घर आया । अभी वह घर के बाहर ही था कि उसके पिता ने पूछा, ‘आदित्य रास्ते में किसी से झगड़ा हुआ था क्या ?’ आदित्य बोला, ‘नहीं तो । पर एक बुड्ढा बड़ा बक-बक कर रहा था । बस फिर क्या था, मैंने उसे दो थप्पड़ जड़ दिए ।’ इस पर उसके पिता पापा ने उसे घर के अंदर आने को कहा ।
आदित्य ने जैसे ही घर के अंदर प्रवेश किया, उसकी नजर वहां बैठे मेहमान पर पड़ी । उन्हें देखकर आदित्य शर्मिंदा होने लगा । वह मेहमान और कोई नहीं, उसके नानाजी थे, जो कई वर्षों के बाद आदित्य के घर आए थे । आदित्य को उन्होंने बुलाया, लेकिन शर्म के मारे उसकी आंखें झुक गई थी । उसे एहसास हो गया था कि उसे कितनी बड़ी गलती हुई है ? इसके बाद आदित्य की सारी बातें समझ में आ गई और वह सुधर गया ।