पानी फल स्वास्थ्य का बल
पानी फल झील या तालाबों में उत्पन्न किए जाने वाला महत्वपूर्ण फल है, जिसे सिंघाड़ा के नाम से भी जाना जाता है । अंग्रेजी में इसे चेस्टनट के नाम से जाना जाता है । यह फल जितना खूबसूरत और स्वादिष्ट होता है, उतना ही पोषक भी ।
● इसमें नमी, प्रोटीन, वसा, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और खनिज लवण होते हैं, जो शरीर को पोषण देते हैं, यह फल ज्वरनाशी, कफ को दूर करने वाला और लेप्रोसी को ठीक करता है । साथ ही इसमें थकान को भी दूर कर शरीर को स्फूर्ति देने वाले गुण मौजूद होते हैं । इस फल को खाने से रक्त संबंधी दोष भी दूर होते हैं ।
● यदि इसे सुखा कर इसका पाउडर बना लिया जाए और पानी के साथ इसकी निश्चित मात्रा ली जाए, तो यह कफ को दूर करता है । यदि कोई मिचली या अपच की समस्या से पीड़ित हैं, तो पानी फल का जूस पीने से बीमारी दूर होती है । पीलिया में भी इसे कारगर माना जाता है । यदि सूखे रूप में इसका सेवन किया जाए, तो शरीर को ऊर्जा मिलती है । व्रत एवं उपवास के दौरान इस के आटे से रोटी बनाकर खाई जाती है ।
● इसमें काफी ज्यादा मात्रा में एंटीऑक्सीडेंटस होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं । इसी तरह गैस और पेट की अन्य समस्याओं को भी पानी फल दूर कर देता है ।
● इसमें पोटेशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो मानव शरीर के लिए प्रमुख खनिज लवण है । इसमें ठंडे पन का होता है, जिससे यह शरीर की गर्मी को भी दूर करता है ।
● यदि बच्चों को इसका जूस पिलाया जाए, तो उनके पेट से संबंधित हर बीमारी दूर होती है । यदि किसी को मीजल्स हो गया हो, तो पानी फल को पानी में उबालकर उसका पानी पिलाने से यह व्याधि दूर हो जाती है । पर यह पानी मरीज को तीन-तीन दिन पर देना चाहिए । गंभीर बुखार में भी इसी उपयोगी माना जाता है ।
● इसे विभिन्न रूपों में काफी दिनों तक संरक्षित भी किया जा सकता है । किसी तरल या आटे के रूप में संरक्षित कर प्रयोग में लिया जाता है । ताजे पानी फल को दो सप्ताह तक प्लास्टिक के थैले में रखा जाए तो भी इसकी गुणवत्ता दूर नहीं होती ।