(1) पारंगत होने का एक ही उपाय है -लक्ष्य में तन्मय हो जाना
एक लोहार बढ़िया बाण बनाने के लिए प्रसिद्ध था । अपनी प्रवीणता में उसे ख्याति प्राप्त थी ।
एक दूसरा लोहार बालक वैसे ही बाण बनाने की विद्या सीखने के लिए उनके पास पहुँचा । कुछ दिन रहा भी ।
एक दिन धूमधाम से बारात सामने निकल रही थी । बाजे बज रहे थे । लोहार ने अपनी तन्मयता में तनिक भी अंतर न आने दिया । पर वह सीखने वाला लड़का बारात देखने चला गया । लौटने पर उसने पूछा ! ताऊ जी अपने बारात देखी ? कितनी सुन्दर थी उसकी सजावट । सिखाने वाले ने कहा में बाण निर्माण के अतिरिक्त और किसी काम में रत्ती भर भी मन नहीं जाने दिया ।
सीखने आये लड़के ने जाना की एक कार्य में प्रवीण – पारंगत होने का एक ही उपाय है -लक्ष्य में तन्मय हो जाना ।
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(2) एक मंदिर पूरा संगमरमर के पत्थरो से बना हुआ था उसमे सीढ़िया भी थी । सीढ़ियों के एक पत्थर ने मंदिर की मूर्ति से कहा की हम दोनों एक ही खदान के निकाले गए पत्थर है लेकिन मेरे ऊपर लोग पैर रखकर निकलते है और तुम्हारी लोग पूजा करते है ।
इस बात पर मूर्ति ने उत्तर दिया कि जिस वक्त मेरी कटाई और छटाई होती थी यहाँ तक कि मुझमे आर पार छिद्र कर दिए गए उस समय तुम आराम से मौज में पड़े रहते थे तुम्हारी तो थोड़ी सी आस पास से छटाई करने के बाद ही तुम्हे सीढ़ियों पार रख दिया गया मेरे ऊपर इतने छेनी और हथोड़े बजाये गए है जिससे मेरी हालत ही ख़राब कर दी गई अब इतने कष्टों को सहने के बाद आज में इस लायक बन पाया हूँ तब लोग मेरी पूजा करते है ।
यही बात हम सभी पार लागू होती है कि कभी भी परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए । जो इंसान परिस्थितियों से लड़ता है और कभी भी हिम्मत नहीं हारता । उस इंसान में हर परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता होती है कष्टों को सहकर जो ऊचाइयों पर उठता है वही इंसान उभरकर समाज के सामने मिसाल बन जाता है । वही लोग दुनिया के सामने एक उदहारण प्रस्तुत करते है ।