प्रायः वास्तु के बारे में हल्का- फुल्का ज्ञान रखने वाले दक्षिणामुखी प्लाट को तुरन्त ही अशुभ बता देते हैं। लेकिन ऐसा कदापि नहीं है, अगर वास्तु नियमों का पालन करते हुए दक्षिण मुखी प्लाट पर निर्माण कराया जाय तो वह भी शुभ होते हैं। दक्षिण दिशा के स्वामी धर्म तथा मृत्यु के देवता ‘यम’ होते हैं।
दक्षिण दिशा के ग्रह मंगल हैं, सूर्य तथा मंगल दोनों ही बहुत गर्म तथा शक्तिशाली होते हैं। सूरज तथा मंगल दोनों का ही रंग लाल होता है। सूरज की गर्मी तथा मंगल के लाल रंग से होने वाली गर्मी दक्षिण दिशा को बहुत ही गर्म बना देती है, जिसके कारण से यह दिशा अशुभ मानी जाती है। मौसम तथा जलवायु से ही दिशाओं का प्रभाव, शुभ-अशुभ जाना जाता है। भारत वर्ष में दक्षिण दिशा में घोर गर्म रहने के कारण इसे अशुभ माना जाता है। जबकि बर्फीले तथा ठंडे प्रदेश में दक्षिण दिशा शुभ मानी जाती है। क्योंकि उनको कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए भरपूर धूप दक्षिण दिशा से मिलती हैं।
ऊर्जा का प्रवाह उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक चुंबकीय लहरों के रूप में लगातार होता रहता है, और वास्तु सिद्धान्त इसी ऊर्जा के प्रवाह पर आधारित है। सभी जानते हैं कि पृथ्वी ऊर्जा का प्रवाह उत्तरी ध्रुव से, दक्षिणी ध्रुव तक चुंबकीय लहरों के रूप में लगातार होता रहता है, और वास्तु सिद्धान्त इसी ऊर्जा के प्रवाह पर आधारित है। सभी जानते हैं कि पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 अंश तक झुकी है जिससे कि पूर्व, ईशान भाग नीचे को दबा है, तथा नैऋत्य तथा पश्चिमी भाग ऊंचा उठा हुआ है। इसी कारण उत्तर, पूर्व तथा ईशान को खुला तथा हल्का रखने को कहा जाता है। दक्षिण, पश्चिम तथा नैऋत्य को भारी रखने को कहा जा है।
आइये अब हम देखते हैं कि अगर दक्षिण मुखी प्लाट के निर्माण तथा आन्तरिक रखरखाव वास्तु नियमों के अनुसार न होने पर क्या-क्या तकलीफें हो सकी हैं और उनका बिना तोड़-फोड़ के निवारण कैसे हो?
दक्षिण मुखी भवन में नैऋत्य कोण (यानि दक्षिण पश्चिम का कोना) में दरवाजा होने पर अति विनाशकारी, हत्या, स्त्री कष्ट, मांग तक कार्यों में बाधा, आर्थिक कष्ट, भयंकर बीमारी का सामना करना पड़ता है।
अगर संभव हो तो तुरन्त इस जगह से दरवाजे को हटा दें। अगर हटाना संभव न हो तो मुख्य द्वार के ऊपर आगे पीछे दोनों तरफ गणेश जी की फोटो या चित्र लगायें। दरवाजे के चौखट के नीचे चांदी का तार लगायें। त्रिशक्ति को भी दरवाजे के दोनों तरफ लगायें। पूजा स्थल पर राहू यंत्र को लगायें, उसकी पूजा करें।
अगर दक्षिण दिशा की तरफ उत्तर दिशा से ज्यादा नीचा और अधिक खुला होने पर उच्च रक्त चाप, पाचन क्रिया में गड़बड़ी, चोट लगने का भय, खून की कमी, महिलाएं सदा बीमार, आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ता है। इस दोष को जल्द से जल्द दूर करना ठीक रहेगा। इसके लिए दक्षिण दिशा के अन्दर की बड़े-बड़े भारी पेड़ लगायें। हो सके तो पत्थर की दीवार बनाये और उस पर लाल रंग की बेल चढ़ायें। दक्षिण पश्चिम के कोने में तांबे का झंडा लगायें जो कि घर से सबसे ऊंचा होना चाहिए।
इसके अलावा दक्षिण दिशा की बाहरी दीवार तथा इस दिशा में स्थित मुख्य दरवाजे को लाल रंग से रंगवायें। पूजा में हनुमान जी की उपासना तथा मंगल ग्रह का जाप करें। इसके अलावा तांबा पर बने मंगल यंत्र को दक्षिण दिशा में स्थित मुख्य दरवाजे के दांयी तरफ लगायें। अगर दरवाजा न हो तो दीवार पर ही लगायें।
अगर दक्षिण दिशा में कुआं, गढ्ढा, बोरिंग, दीवारों में दरार, पुराने कबाड़ आदि हो तो घर में अचानक दुर्घटना, हृदय रोग, जोड़ों में दर्द, खून की कमी, पीलिया, आंखों की बीमारी हो सकती है। इसके लिए तुरन्त ही गड्डों को सही करा दें।
अगर तुरन्त संभव न हो तो उस पर कागज लगा दें। अगर बोरिंग बन्द करना संभव हो तो बोरिंग से पाइप को फर्श के अन्दर से पाइप ले जा कर के ईशान कोण की तरफ पानी की निकालें। दक्षिण दिशा की तरफ भारी-भारी पत्थरों को रखवा दें। दक्षिण दिशा की तरफ जमीन के अन्दर तांबे का तार लगवाना बेहतर होगा।
दक्षिण दिशा की तरफ कम से कम खिड़की व दरवाजा रखें। दक्षिण दिशा की तरफ वास्तु देवता का बांया सीना, बाया फेफड़ा तथा गुर्दा होता है। दक्षिण दिशा में दोष होने पर शरीर के इन अंगों में खराबी उत्पन्न हो जाती है। पत्थर या कच्ची मिट्टी का बन्दर मुख्य दरवाजे या ड्राइंग रूम में लगाना चाहिए।
नींद के लिए दक्षिण दिशा बहुत ही अच्छी होती है। क्योंकि इस दिशा की गर्मी हमें रात होते-होते सोने के लिए मजबूर कर देती है।
दक्षिण दिशा में रहने वालों को अपने घरों में खासकर गर्मी के दिनों में दक्षिण दिशा की सभी खिड़की और दरवाजों को बन्द रखना चाहिए।
अगर आपका घर दक्षिणमुखी है तो बच्चों के पढ़ने-लिखने के लिए मकान के वायव्य कोण में स्थित कमरा अधिक उपयुक्त होगा। सोने के लिए पश्चिम दिशा तथा दक्षिण पश्चिम दिशा के कोने में स्थित कमरा सोने के लिए उपयुक्त होता है। वायव्य कोण में ‘सेप्टिक टैंक’ बनायें। पश्चिम दिशा में शौचालय तथा स्नानघर को संयुक्त रूप से बनवा सकते हैं। ईशान कोण में ज्यादा से ज्यादा खिड़कियों का निर्माण करायें।
घर के बड़े-बूढ़ों को दक्षिण- पश्चिम में स्थित कमरे में सोना चाहिए। यहां अधेड़ तथा बूढ़े व्यक्ति को सुलाने से उनको बुढ़ापा कष्टकारी नहीं लगता है। जीवन सुखपूर्वक बीतता है।
दक्षिण मुखी मकान या मार्केट में होटल, हार्डवेयर की दुकान, टायर, तेल या रसायन की दुकान तथा ‘ब्यूटी ‘पार्लर’ की दुकानों का करना ज्यादा शुभ माना जाता है।
रसोई घर, पानी की टंकी, शौचालय, मुख्य द्वार की सही स्थिति, पूर्व तथा उत्तरी दिशा के अधिक खाली जगह छोड़ने से दक्षिण मुखी घर में भी स्वस्थ सुखी और संयम जीवन बिताया जा सकता है।