कलह शांति की बात हो या सुहाग रक्षा, स्वास्तिक एक कारगर उपाय है । इसमें आम की लकड़ी से बने स्वास्तिक का विशेष महत्व है
स्वास्तिक का अर्थ है – शुभ, कल्याण और मंगल । पूजनीय और मांगलिक माने जाने वाले इस प्रतीक चिन्ह में अनेक अर्थ समाहित हैं । स्वास्तिक सकारात्मक और ऊर्ध्वगामी ऊर्जा का प्रतीक है । इसमें दो रेखाएं एक दूसरे को काटते हैं । इस प्रकार चार भागों का निर्माण होता है । स्वास्तिक की यह चार रेखाएं, चार आश्रम, चार वेद, चार वर्ण तथा चार देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश का प्रतीक मानी गई है ।
वास्तु शास्त्र में भी स्वास्तिक का इस्तेमाल वास्तु दोष दूर करने के लिए किया जाता है । सुख-समृद्धि के लिए स्वास्तिक की पूजा सदियों से हो रही है । वास्तु के अनुसार आम की लकड़ी का बना स्वास्तिक शुभ फल देने वाला होता है । दरअसल आम का वृक्ष हर रूप में पावन और उपयोगी है । चाहे इसकी लकड़ी की बात हो या पत्तियों की । इसलिए वास्तु में भी इसकी लकड़ी को शुभ माना गया है ।
अगर घर में वास्तु दोष हो तो आम की लकड़ी के बने स्वास्तिक को रखना शुभ होता है । इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है प्रवाह होता है और सुख-समृद्धि आती है । अगर आप भी अपने घर में आम की लकड़ी का स्वास्तिक रखना चाहते हैं, तो इसे अपने घर के दरवाजे पर, अपनी पूजा की अलमारी या वैसी जगहों पर रख सकते हैं, जहां वास्तुदोष हो ।
आप चाहे तो इसे लाल रंग से रंग भी सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि मात्र ऊपरी परत पर ही रंग लगा हो । इस तरह आप अपने घर में इस पवित्र चिन्ह को रखकर शुभ परिणाम पा सकते हैं । इसके अलावा जिनके घर में क्लेश हो या आपसी संबंध ठीक नहीं रहते हो, वे अपने घर में 9 इंच लंबा, 9 इंच चौड़ा स्वास्तिक लगाएं । रंगोली में भी स्वास्तिक का प्रयोग किया जाता है । पुराण में कहा गया है कि चतुर्मास में मंदिर में स्वास्तिक की अष्टदल रंगोली बनाने से स्त्री सदैव सुहागिन रहती है । यही कारण है कि विभिन्न अवसरों पर स्त्रियां स्वास्तिक की रंगोली बनाती हैं ।
शुभ है स्वास्तिक
1) किसी भी घर में वास्तु दोष हो, तो मुख्य द्वार के ऊपर प्राण प्रतिष्ठित कराकर शुभ समय में स्वास्तिक यंत्र की स्थापना करें। इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होंगी और सकारात्मक उर्जा का प्रवेश होगा।
2) मुख्य द्वार पर शुभ चिन्ह जैसे ॐ, स्वास्तिक, त्रिशूल, क्रॉस आदि लगाने से भी विपदांए नहीं आती।
3) मुख्य द्वार के अंदर की तरफ कोने में गंगाजल से साफ कर गुरुवार के दिन पीली हल्दी से स्वास्तिक बनाकर उस पर बीच में पीली सरसों रखकर दीपक जलाएं और वास्तु देव का ध्यान कर प्रणाम करें। यह कार्य घर का मुखिया करे, तो लाभ होगा।
4) प्रत्येक गुरुवार को लोबान या कपूर की धूनी घर के हर कोने में देने से भी वास्तु दोष दूर हो जाता है।
5) मुख्य द्वार पर बिना कांटे के फूलों का गुलदस्ता रखने से वातावरण शांत और खुशनुमा हो जाता है।
6) घर में प्रतिदिन नमक मिले पानी का पोछा लगाना चाहिए। इसे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
7) घर का ढलान हमेशा मुख्य द्वार की ओर होना चाहिए। यानी घर का पिछला हिस्सा मुख्य द्वार के मुकाबले ऊंचा होना चाहिए।