जब तुम जप करने के जिए बैठते हो तो सिद्धासन लगाओ और मूलबन्ध का अभ्यास करों । इससे चित्त कों एकाग्र करने में सफलता मिलती है । यह अभ्यास अपान वायु को नीचे को ओर आने से रोकता है । पद५मासन पर बैठने का अम्यास होने से तुम साधारण रूप से मूल-बंध कर सकते हो । जितनी देर हो सके, सुगमतापूर्वक मूलबन्ध का अभ्यास करो । श्वास के रोकने की क्रिया को कुम्भक कहा जाता है । कुम्भक के अभ्यास से चित्त दृढतर बनता जता है और एकाग्रता का स्वत:…
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