हनुमान जी का एकमुखी, पंचमुखी और एकादशमुखी स्वरूप सारे जगत में प्रसिद्ध है । भगवान शंकर की तरह इन्हें भी पंचमुखी कहा जाता है । इस रूप में हनुमान जी मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी को पुष्य नक्षत्र में सिंह लग्न तथा मंगल के दिन अवतरित हुए थे । भगवान के इस अवतार के पूजन से ऊर्जा मिलती है साथ ही इनकी आराधना से बुद्धि, बल, कीर्ति, धीरता, निर्भीकता, आरोग्य, वाक् शक्ति आदि गुण प्रसाद की तरह प्राप्त होते हैं । इनके पूर्व की ओर का मुख वानर का है जिसकी प्रभा करोड़ों…
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जानें, पंचमुखी हनुमान के पांच मुख का महत्व
मंगल ही मंगल करते हैं पंचमुखी हनुमान पंचमुखी हनुमान की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना का फल प्राप्त होता है । पवन पुत्र का यह रूप मनुष्य के सभी विकारों को दूर करने वाला व शत्रुओ का नाश करने वाला है । इनका स्मरण कल्याणकारी है.. हनुमान जी अपने हर रूप में कल्याणकारी हैं । वे सदा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं । जिस तरह चार मुख वाले ब्रह्मा, पांच मुख वाली गायत्री, छह मुख वाले कार्तिकेय, चतुर्भुज विष्णु, अष्टभुजी दुर्गा, दशमुखी गणेश प्रसिद्ध है, ठीक उसी…
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