क्या आप जानते हैं, साधना में प्रयुक्त सभी आसनों का प्रभाव भी भिन्न होता है । इसलिए जिस प्रयोजन से आपने मंत्र सिद्धि का संकल्प लिया है, उसी के अनुरूप आपको आसन का चुनाव भी करना चाहिए । प्रस्तुत है आसन से जुड़ी कुछ जानकारियां: ■ मृगचर्म का प्रयोग तपस्वी, ब्रह्मचारी और साधु संत कामोत्तेजना का परिहार करने के लिए करते हैं । मोक्ष प्राप्ति अथवा धन पाने के उद्देश्य से की जाने वाली साधना में काला मृगचर्म अनुकूल प्रभाव देता है । ज्ञान सिद्धि के लिए भी मृगचर्म का…
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मंत्र देवता की प्रार्थना या स्तुति का ही एक रूप है (मंत्रो की महिमा)
एक मन्त्र को स्वयं दिव्य शक्ति समन्वित समझना चाहिए । वास्तव में मन्त्र तथा उसका देवता अभिन्न है । नाम और नामी एक ही हैं । मंत्र ही देवता है । मंत्र दिव्य शक्ति का प्रतीक है । श्रद्धा, विश्वास तथा भक्ति के साथ मन्त्र का निरन्तर जप करने से साधक की शक्ति का विकास होता है और मंत्र में मन्त्र-चैतन्य का जागरण होता है और साधक को मन्त्र-सिद्धि प्राप्त हो जाती है, तथा साधक एक प्रकार के प्रकाश, स्वतन्त्रता, शांति तथा अनंत आनंद और अमरत्वा का अनुभव करने लगता…
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