हिंदी प्रेरक कहानी- फिर भी नहीं रुका अमन अमन मात्रा आठ साल का था शरीर पर आधा-अधूरा, फटा-चिथड़ा कपड़ा था । ऊपर से कड़ाके की ठंडी सुबह पांच बजे ही एक प्लास्टिक का बोरा लेकर रेलवे स्टेशन की ओर चल पड़ा । ट्रैक पर जो भी कूड़ा-कबाड़ था, उसे बोरे में भर लिया । अमन चुने हुए कूड़े को ले जाकर हर दिन बेचता था । उससे जो भी पैसे मिलते, अपनी मां को दे देता । घर में मां के अलावा एक छोटी बहन भी थी । पिता…
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