भाग्य वृद्धि व सोई किस्मत को जगाने वाली उपयोगी वस्तुएं

key of success

रिद्धि सिद्धि देने वाली उपयोगी वस्तुएं विचित्र किंतु सत्य

पारद शिवलिंग

सैकड़ों अश्वमेघ यज्ञों, करोड़ों गऊओं के दान, हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान तथा काशी प्रयाग आदि तीर्थों के स्नान करने से जो पुण्य मिलता है। वह फल मनुष्य को केवल पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है। इसके पूजन से तीनों लोकों में शिव जी के शिवलिंग पूजन का फल मिलता है इसके स्पर्श से ही शक्ति प्राप्त होती है। पारद शम्भुबीज है। इसलिए शास्त्र कारों ने इसे साक्षात शिव माना है। इसके पूजन से सभी प्रकार के लौकिक तथा पारलोकिक सुखों की प्राप्ति होती है संक्षेप में जहां पारद शिवलिंग है वहां भगवान शंकर का साक्षात वास है। जिस घर में पारद शिवलिंग है उसमें रिद्धि सिद्धि और लक्ष्मी का भी वास होता है किसी भी प्रकार की कमी उस घर में नहीं रह सकती।

नर्मदेश्वर शिवलिंग

नर्मदा भारत की पवित्र नदियों में से एक हैं इससे प्राप्त हर पत्थर से स्वनिर्मित शिवलिंग उपलब्ध होते हैं। इन शिवलिंगों की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती। इनकी पूजा करने वाले को असीम सुख और समृद्धि प्राप्त होती है क्योंकि ऐसा विश्वास किया जाता है कि भगवान शंकर इसमें सदा विराजमान रहते हैं। नर्मदेश्वर शिवलिंग पर प्राकृतिक धारियां तथा आकृतियां स्वनिर्मित होती हैं। जिन पर यह होती है वह उतना ही श्रेष्ठ माना जाता है।

स्फटिक शिवलिंग

स्फटिक पारदर्शी पत्थर होता है। भगवान राम ने रामेश्वर धाम में स्फटिक शिवलिंग की स्थपना की थी तांत्रिक लोग स्फटिक शिवलिंग की पूजा को विशेष महत्व देते हैं और ऐसा मानते हैं कि इससे आशुतोष भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

श्वेतार्क गणपति

भगवान शंकर का प्रिय पौधा मदार ऐसा पौधा है जिसे सब वनस्पतियों को खा जाने वाले जीव ऊंट तथा बकरी भी नहीं खाते। इसे अर्क या आक भी कहा जाता है। इसकी दो जातियां हैं। काला तथा सफेद। विधि पूर्वक शुभ मुहूर्त में सफेद आक की जड़ को उखाड़ कर इसकी आकृति गणेश प्रतिमा जैसी बनाएं या बनवालें। सौभाग्य वृद्धि के लिए इससे बढ़कर शायद ही कोई वस्तु होगी। जहां भी यह गणपति प्रतिमा होगी वहां भगवती लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। पूजन मंत्र:- “ॐ गं गणपतये नम:”

श्रीफल

धन वृद्धि के लिए श्रीफल का पूजा स्थान पर होना आवश्यक माना गया है। यह समुद्र के किनारे होने वाला फल है। जो नारियल के आकार का बहुत छोटा फल है। इसे सिंदूर में रखना चाहिए। पूजन मंत्र:- “ॐ ह्रीं श्रीं नमः”

एकाक्षी नारियल

नारियल का पेड़ भी समुद्र के किनारे के क्षेत्र में ही होता है। नारियल की जटा उतारने पर इसके तीन बिंदु प्रायः देखने में आते हैं, इन्हें नारियल का नेत्र कहा जाता है। हजारों नारियल की देख करने पर एक आध नारियल ऐसा भी मिल जाता है जिस पर केवल दो बिंदु बने होते हैं इसे एकाक्षी नारियल या एक आंख का नारियल कहा जाता है। नारियल पर प्रायः तीन या चार धारियां होती हैं जबकि एकाक्षी नारियल पर केवल दो ही होती हैं। काले बिंदु दोनों और होते हैं जिस नारियल पर एक ओर एक बिंदु दूसरी और भी एक बिंदु होता है वही शास्त्रोक्त एकाक्षी नारियल माना जाता है। यह अत्यंत दुर्लभ एवं प्रभावशाली होते हैं। इसे कहीं से प्राप्त करके पूजा स्थान पर रखने से धन संपत्ति एवं वैभव की वृद्धि होती है। लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्लभ किन्तु सर्वश्रेष्ठ साधन है। पूजा मंत्र:- ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीं ह्रीं ॐ।

दक्षिणावर्ती शंख

इसे लक्ष्मी का सहोदर (भाई) माना जाता है। क्योंकि ऐसा विश्वास है कि लक्ष्मी जी का जन्म भी शंख की तरह समुद्र में ही हुआ था। अतः इसे लक्ष्मी और विष्णु का प्रिय माना जाता है। प्राय: शंख बाम मुखी होते हैं। दक्षिणावर्ती शंख दुर्लभ है। ये शंख विशेष प्रभावशाली, सिद्धि प्रद कहे गए हैं। सर्वसाधारण में मान्यता है कि जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख की पूजा होती है वहां भगवती लक्ष्मी स्वयं विराजमान रहती है। इसे कहीं से प्राप्त करके शुभ मुहूर्त में पंचामृत, दूध, गंगाजल से स्नान करवाकर चांदी के आसन पर स्थापित करें और हर रोज धूप दीप करते रहने से घर में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती। जो लोग दरिद्रता के कारण दुखी हैं उन्हें इसे अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए।

हत्था जोड़ी

यह एक दुर्लभ जड़ी है। इसे कहीं से प्राप्त करके कुछ दिन तक तिल के तेल में रखना चाहिए। बाद में किसी शुक्ल पक्ष के रविवार को तेल से निकालकर गायत्री मंत्र पढ़ते हुए सिंदूर में रखकर कपूर, लौंग, इलायची और तुलसी के पत्तों के साथ चांदी की डिब्बी में रखकर पूजा के स्थान पर रख देना चाहिए। बहुत ही शक्तिशाली और प्रभाव कारी वस्तु है। विवाह, मुकदमा, शत्रु, संघर्ष, दरिद्रता अस्त्राघात और दुर्घटना आदि के निवारण में इस जितनी चमत्कारिक वस्तु आज तक देखने में नहीं आई। इसमें वशीकरण की अद्भुत शक्ति है। जिसके पास हत्था जोड़ी होती है उसे हर कार्य में सफलता मिलती है।

गीदड़ सिंगी-सियार सिंगी

गीदड़ एक जीव है। इसकी सींग नहीं होते। परंतु किसी-किसी से अचानक से उभर आते हैं और वह दर्द के मारे टकरा टकरा कर उसे निकाल फेकता है। बहुत ही दुर्लभ वस्तु है। यह छोटी बड़ी कई आकारों में मिलती है परंतु अवले के फल से बड़ी नहीं होती। यदि कहीं से प्राप्त हो जाए तो इसे भी हत्था जोड़ी की तरह ही पूजा आदि करके रखना चाहिए। परंतु बात याद रखें इसे तेल में ना डालें। स्नान की बजाय इसे गंगाजल से छोटा देवें। धन, संपत्ति की वृद्धि और वशीकरण के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। स्त्रियों के ऋतु काल में छूने अथवा देखने से इसकी शक्ति नष्ट हो जाती है। स्त्री वशीकरण के लिए इससे बड़ी वास्तु मिलना दुर्लभ है।

एक मुखी रुद्राक्ष

एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ है। भाग्यशाली लोग ही इसे प्राप्त कर सकते हैं। शिव पुराण तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में इसे साक्षात भगवान शंकर का रूप माना गया है। जहाँ एक मुखी रुद्राक्ष होगा वहां लौकिक और आध्यात्मिक सुखों का वास होगा। क्योंकि जहां पर रुद्राक्ष होगा वहां साक्षात भगवान आशुतोष शिव का वास होगा।

रुद्राक्ष माला

धार्मिक ग्रंथों के आधार पर पूजा के लिए रुद्राक्ष की माला सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। तुलसी, चंदन, स्वर्ण, मुक्ता प्रवाल माला से करोड़ गुणा अधिक फल रुद्राक्ष माला पर जाप करने से प्राप्त होता है ऐसा सभी धार्मिक ग्रंथों में लिखा है। ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर आदि से बचाती है। अकाल मृत्यु योग को टालने की अभूतपूर्व क्षमता इसमें है।

स्फटिक माला

तांत्रिक लोग प्रायः इस माला का साधना के समय प्रयोग करते हैं। वृष तथा तुला राशि वालों को गले में डाल कर रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार लाती है। साधारण पूजा पाठ के लिए भी उत्तम मानी जाती है।

सफेद गुंजा

धन वृद्धि के लिए इसे शुद्ध शहद में रखकर घर में रखना चाहिए। अटूट लक्ष्मी के भंडार के लिए तांत्रिकों ने इसे श्रेष्ठ माना है।

लाल गुंजा

तांत्रिक प्रयोग की वस्तु है। गोरोचन के साथ इस को घिसकर तिलक करने से वशीकरण होता है। वशीकरण के लिए यह प्रमाणिक प्रयोग है।

काली गुंजा

दुर्लभ वस्तु है। आसानी से नहीं मिल सकती। इसे अपने पास रखने वालों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बड़े से बड़े शत्रु को मुंह की खानी पड़ती है। विपदा की सूचना पहले ही रंग बदल कर दे देती है कम से कम 10 दाने रखने चाहिए।

काली हल्दी

तांत्रिक प्रयोग की वस्तु है। धन वृद्धि के लिए उत्तम यानी मानी गई है। इसे तिजोरी में रखना चाहिए।

पीली सरसों

सात्विक पूजा एवं तांत्रिक पूजा के लिए इसका उपयोग होता है। घर में सुख समृद्धि के लिए उत्तम माना जाता है।

नवरत्न अंगूठी

जिन व्यक्तियों के पास जन्म कुंडली नहीं है उनके लिए रत्नों का निर्धरण करना मुश्किल होता है नवरत्न अंगूठी नौ ग्रहों की शांति के लिए बनवाई और पहनी जाती है। व्यापार या नौकरी संबंधी रुकावटों को दूर करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है।

अष्टधातु की अंगूठी

जो लोग भाग्य के साथ ना देने के कारण परेशान हैं और हालात के कारण खर्च भी नहीं कर सकते। उनके लिए यह सस्ता और प्रभावशाली साधन है। अष्टधातु नवग्रहों के दोषों को शांत करती है और धारण करने वाले के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुई है ।

शनि मुद्रिका

शनिदेव के प्रकोप के कारण आदमी परेशान हो जाते हैं। उनके प्रकोप को शांत करने के लिए काले घोड़े की नाल से शुभ लग्न में इस अंगूठी का निर्माण कराया जाता है। शनि देव की कृपा दृष्टि प्राप्त एवं धन वृद्धि में सहायक होती है।

बिल्ली की जेर

बहुत ही दुर्लभ वस्तु है। शास्त्रों के अनुसार जिस स्थान पर बिल्ली की जेर होती है वहां लक्ष्मी का वास है। सुख शांति बनी रहती है। रिद्धि सिद्ध का वास होता है।

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